माता- पिता की कौन सी चीज बना देती हैं उन्हें बच्चों का दुश्मन

माता- पिता की कौन सी चीज बना देती हैं उन्हें बच्चों का दुश्मन
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माता-पिता के लिए बच्चों को बड़ा करना बहुत ही जिम्मेदारी भरा काम है. बचपन में दी गई सीख जीवन का आधार तय करती है. चाणक्य नीति में बच्चों को सही सीख देने की बात आती है. आचार्य चाणक्य को प्राचीन भारत के विद्वान के रूप में जाना जाता है. आचार्य चाणक्य एक कुशल रणनीतिकार और महान अर्थशास्त्री के तौर पर याद किया जाता है. चाणक्य की बातें आज के समय में भी प्रासंगिक है और लोगों का मार्गदर्शन करती है. आचार्य चाणक्य के अनुसार माता-पिता को अपने बच्चों को इन चीजों की सीख जरूर देना चाहिए. अगर माता-पिता ऐसा नहीं करते हैं तो वह अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान है. चाणक्य नीति के अनुसार,

माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।

न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा । ।

इस श्लोक के अनुसार जो भी माता-पिता अपने बच्चे को शिक्षा नहीं देते हैं वो बच्चों के लिए शत्रु के समान है. विद्वान लोगों के बीच में अशिक्षित व्यक्ति को कोई इज्जत नहीं मिलती है, ऐसा व्यक्ति हंसों के बीच में बगुले की तरह होता है.

सही व्यवहार की सीख न देना

माता-पिता का फर्ज होता है बचपन से ही बच्चों को सही व्यवहार करने की सीख दें. चाणक्य नीति के अनुसार बच्चों को सभी का सम्मान करने की सीख जरूर दें. बच्चों को लोगों के साथ प्यार और आदर से बात करने की सीख देना चाहिए. अगर माता- पिता सही सीख नहीं देते तो ये बच्चे के लिए हानिकारक साबित होता है.

आलस से दूर न करना

चाणक्य नीति के अनुसार बच्चों को आलसी नहीं बनाना चाहिए. जो भी ऐसा करता है वो बच्चे के लिए दुश्मन की तरह होता है. आलस में पड़कर व्यक्ति अपना जीवन बर्बाद कर देता है. माता-पिता को बचपन से बच्चे को काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. काम करने से आलस भी कम होता है और बच्चे में आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

सही शिक्षा नहीं देना

आचार्य चाणक्य के अनुसार जो माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते हैं तो ऐसे माता-पिता बच्चे के शत्रु के समान है. सही शिक्षा मिलने से इंसान अपने जीवन में आगे बढ़ता है और अपनी पहचान भी बनाता है. चाणक्य नीति के अनुसार अशिक्षित व्यक्ति का समाज में सम्मान नहीं होता है.

ईमानदार होने की सीख नहीं देना

सभी माता-पिता को अपने बच्चों को ईमानदार बनने की सीख देनी चाहिए. चाणक्य नीति के अनुसार बच्चों को बचपन में ही सच्चाई और ईमानदारी

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