बच्चों को गुदगुदी करना बंद करें! डॉक्टरों ने चेताया– हंसी नहीं, यह ‘साइलेंट स्ट्रेस’ भी हो सकता है

बच्चों को गुदगुदी करना बंद करें! डॉक्टरों ने चेताया– हंसी नहीं, यह ‘साइलेंट स्ट्रेस’ भी हो सकता है
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हम सभी मानते आए हैं कि बच्चों को गुदगुदी करना एक प्यारा और मजेदार पेरेंटिंग मोमेंट होता है—बच्चा हंसता है, बड़े खुश होते हैं… लेकिन ताज़ा मेडिकल रिपोर्ट्स और चाइल्ड एक्सपर्ट्स कुछ और सच सामने ला रही हैं।

हर हंसी, असल में खुशी नहीं होती।

रिसर्च कहती है: गुदगुदी की हंसी ‘रिफ्लेक्स’, खुशी नहीं

डॉक्टर्स के अनुसार, बच्चों के शरीर को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि कुछ जगह छूने पर वे ऑटोमेटिक रूप से हंस पड़ते हैं—भले ही वे मजे में हों या डर में।

गुदगुदी के दौरान बच्चे के शरीर में क्या होता है?

सांस अटकने जैसा एहसास – कई बच्चों की ब्रीदिंग एक पल को अनियमित हो जाती है।

हार्टरेट बढ़ना – शरीर इसे फन नहीं, ‘सडेन अलर्ट सिग्नल’ की तरह लेता है।

मसल्स टाइट होना – शरीर सिकुड़ जाता है, जिससे असहजता बढ़ती है।

स्ट्रेस हार्मोन रिलीज – हंसते हुए भी बच्चा स्ट्रेस महसूस कर सकता है।

डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार बच्चा समझ ही नहीं पाता कि वह मजे में है या घबरा रहा है, क्योंकि उसका शरीर ऑटो-पायलट पर हंसता रहता है।

फिर बच्चा हंस क्यों देता है?

क्योंकि हंसी उसकी सहमति नहीं, बल्कि एक शारीरिक रिएक्शन है।

यानी हंसना = मजा आ रहा है, यह मान लेना गलत है।

कब गुदगुदी खतरनाक हो सकती है?

जब लगातार और लंबे समय तक की जाए

जब बच्चा “ना” कहे या भागने की कोशिश करे

जब उसकी बॉडी लैंग्वेज असहजता दिखाए

जब वह चुप हो जाए, आंखें फैल जाएं या सांस तेज ले

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट्स मानते हैं कि ज्यादा गुदगुदी ओवरस्टिमुलेशन का कारण बनती है—जिससे बच्चा खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करता।

कैसे पहचानें कि बच्चा असहज है?

अगर बच्चा—

पीछे हटे

हाथों से रोकने की कोशिश करे

सांस तेज हो जाए

चेहरा सिकोड़े

नजरें चुराए

अचानक चुप हो जाए

—तो तुरंत रुक जाना चाहिए।

हंसी पर भरोसा नहीं, संकेतों पर भरोसा करें।

बॉडी कंसेंट: यहीं से शुरू होती है सीख

एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि बच्चे को छोटी उम्र से ही यह एहसास दिलाना जरूरी है कि उसका शरीर उसी का है।

पूछें—

“गुदगुदाऊं?”

“बस हो गया?”

“और करूं या रुकूं?”

यह छोटी प्रैक्टिस बच्चों में कंसेंट और बॉडी सेफ्टी की समझ मजबूत करती है।

गुदगुदी करना है तो ऐसे करें

हल्की, छोटी और बच्चे की कम्फर्ट के अनुसार

बीच-बीच में उनकी राय पूछें

अगर बच्चा भागे या रुकने को कहे—तो तुरंत रुकें

ऐसे गेम खेलें जिनमें कंट्रोल बच्चे के हाथ में हो


गुदगुदी गलत नहीं—

लेकिन तभी ठीक है जब बच्चा तैयार हो, सुरक्षित महसूस करे और ‘हां’ कहे।

वरना आपका मजा, बच्चे के लिए साइलेंट स्ट्रेस बन सकता है।


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