उबली दाल क्यों है ज़्यादा फायदेमंद? विज्ञान और आयुर्वेद की राय

भारतीय रसोई में दाल आमतौर पर मसालों और तड़के के साथ बनाई जाती है, लेकिन विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही उबली हुई, बिना तड़के की दाल को ज्यादा पौष्टिक बताते हैं। उबली दाल शरीर को ऊर्जा, प्राकृतिक प्रोटीन और जरूरी पोषक तत्वों से भरने में अधिक प्रभावी होती है।
1. प्रोटीन और मांसपेशियों के लिए श्रेष्ठ
उबली दाल का प्रोटीन शरीर में 100% अवशोषित होता है।
तड़का लगने पर मसालों की गर्मी और तेल मिलने से प्रोटीन का स्ट्रक्चर बदल जाता है, जिससे उसका अवशोषण कम हो जाता है।
मांसपेशियाँ और हड्डियाँ मजबूत करने में उबली दाल अधिक सहायक।
2. पाचन और आंतों के लिए लाभकारी
आयुर्वेद में उबली दाल को सात्त्विक भोजन माना गया है।
यह हल्की, सुपाच्य और आंतों के लिए आरामदायक है।
गैस, जलन, एसिडिटी या खाने के बाद दर्द की समस्या वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद।
3. लो कैलोरी + लो सोडियम = बीपी और दिल के रोगियों के लिए अमृत
उबली दाल में तेल नहीं होता, इसलिए कैलोरी बेहद कम होती है।
सोडियम भी कम होता है, जिससे उच्च रक्तचाप (BP) नियंत्रित रहने में मदद मिलती है।
हार्ट पेशेंट भी इसे बिना चिंता के खा सकते हैं।
4. लंबे समय तक पेट भरा रखती है
उबली दाल में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है।
धीरे-धीरे पचने के कारण यह लंबे समय तक पेट भरा रखने में मदद करती है, जिससे वजन नियंत्रण में भी सहायता मिलती है।
5. बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए फायदेमंद
मिनरल्स, अमीनो एसिड और प्राकृतिक फाइबर से भरपूर।
रोज़ाना सेवन करने पर कई छोटी-मोटी बीमारियों का जोखिम कम होता है।
