शादी में कुंडली न मिलाने से बढ़ रहे तलाक के मामले: राजस्थान में भी दिखने लगे असर

शादी में कुंडली न मिलाने से बढ़ रहे तलाक के मामले: राजस्थान में भी दिखने लगे असर
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जयपुर / वाराणसी। देशभर में टूटती शादियों के पीछे अब एक नया कारण सामने आया है — कुंडली न मिलाना। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के तीन प्रोफेसरों की ताज़ा रिसर्च में खुलासा हुआ है कि देश में 37% शादियां सिर्फ इसलिए टूट रही हैं क्योंकि वर-वधु की कुंडलियां ठीक से नहीं मिलाई गईं।

रिसर्च में यह भी सामने आया कि अब लोग होटल बुकिंग और शूट की तारीखों के हिसाब से शादी के मुहूर्त तय कर रहे हैं, न कि पंचांग या ग्रह-नक्षत्र देखकर। नतीजा—कई रिश्ते एक-दो साल के भीतर ही टूट रहे हैं।

राजस्थान में भी हाल के वर्षों में तलाक और वैवाहिक विवादों के केस तेजी से बढ़े हैं। जयपुर, उदयपुर और जोधपुर फैमिली कोर्ट्स में हर महीने औसतन 100 से ज्यादा नए वैवाहिक विवाद दर्ज हो रहे हैं। स्थानीय ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि “आधुनिकता के नाम पर ज्योतिष परंपराओं की अनदेखी बढ़ी है।”

BHU के प्रोफेसर विनय पांडे ने बताया कि शोध के लिए 250 ऐसे मामलों का अध्ययन किया गया, जिनमें शादी के तीन साल के भीतर तलाक हो गया। इनमें से 37% में कुंडली का मिलान अधूरा या गलत था, जबकि बाकी 63% मामलों में शादी के वक्त सनातन रीति-रिवाजों और मंत्रोच्चारण की अनदेखी की गई।

राजस्थान के पंडित भी चिंतित:

ज्योतिषाचार्य पंडित विक्रम सोनी का कहना है, “अब लोग 36 में से 18 गुणों के मेल की परंपरा को मज़ाक समझते हैं। कई बार बिना ग्रह मिलान किए ही शादी कर ली जाती है। यही बाद में वैवाहिक जीवन में तनाव और अलगाव का कारण बनता है।”

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि “होटल बुकिंग या फैशन शूट के हिसाब से नहीं, बल्कि पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त तय कर शादी करनी चाहिए।”


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