इन आदतों वाला इंसान किसी काम के नहीं रह जाता है बदल डालो...
सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता है. इसमें लिखी बातें उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितना द्वापर युग में थी. जब अर्जुन का मन युद्ध से डगमगाने लगा था, तो भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अर्जुन को सुनाया था. गीता में लिखी बातें सम्पूर्ण मानव समाज को जीवन जीने की कला सिखाती है. यह इंसान को जीवन जीने का उद्देश्य देने के साथ मार्गदर्शन करने का काम करता है. यह जीवन में संतुलन और शांति से जीने के लिए प्रेरित करती हैं. गीता में इंसान के गुणों और अवगुणों दोनों को बताया गया है. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश के माध्यम से बताते हैं, इन आदतों वाला इंसान किसी काम के नहीं रह जाता है.
आरामपसंद इंसान
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश में बताया है कि आरामपंसद और आलसी इंसान किसी काम के लायक नहीं होता है, क्योंकि बिना शारीरिक मेहनत के इंसान का शरीर कमजोर हो जाता है. इसके अलावा, आलसी स्वभाव इंसान को हर काम में पीछे कर देता है. इन व्यक्तियों को समय रहते कुछ भी नहीं मिलता है.
ज्यादा प्रेम करने वाला इंसान
श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, अत्यधिक प्रेम करने वाला इंसान शरीर से अक्षम हो जाता है. यह इंसान को आगे बढ़ने से रोक देता है. ऐसे में जो मां-बाप अपने बच्चे को ज्यादा लाड-प्यार देते हैं. उन बच्चों की आदतें बिगड़ जाती हैं. जरूरत से ज्यादा प्रेम इंसान को किसी काम के लायक नहीं छोड़ती हैं.
अहंकारी इंसान
गीता में लिखा है कि जिस इंसान के स्वभाव में अहंकार व्याप्त हो जाता है, वह घमंडी हो जाता है, तो वह छोटे और बड़े को सम्मान देना भूल जाता है. घमंडी इंसान का शरीर किसी काम को करने में असमर्थ रहता है. यह इंसान को आगे बढ़ने से रोकती हैं.
आसक्ति में फंसे रहने वाला
भगवान श्रीकृष्ण ने बताते हैं कि जो व्यक्ति किसी के आसक्ति में बंध जाता है, वह शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है. वह किसी काम के लायक नहीं रह जाता है. ऐसे लोग अपने लक्ष्य से बड़ी आसानी से भटक जाते हैं.
गुस्सैल इंसान
गीता में बताया गया है कि ज्यादा गुस्सा करने वाला इंसान भी किसी काम के लायक नहीं रह जाता है. यह इंसान को आगे बढ़ने से रोकती है. गुस्से में इंसान सिर्फ अपना ही नुकसान करता है. इसके अलावा, गुस्से में धर्म के रास्ते से इंसान भटक जाता है