बाहर से साधारण मिट्टी का घर लेकिन अंदर होश उड़ाने वाले नजारे, ठहरने के लिए जाना होगा यहां

बाहर से साधारण मिट्टी का घर लेकिन अंदर होश उड़ाने वाले नजारे, ठहरने के लिए जाना होगा यहां
X

आज के समय में हमारी यह जो जिंदगी है वह काफी भाग-दौड़ भरी बन गयी है. सुबह से लेकर शाम तक काम और रात को थककर घर आकर आराम. जिंदगी एक तरह से ही चलती जाती है उसमें कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलता है. शहर के भीड़-भाड़ और शोर शराबे की हमें आदत हो गयी है. कई बार ऐसा होता है कि थका देने वाले इस शोर-शराबे की इस दुनिया से हम दूर जाना चाहते हैं और कुछ शांति और सादगी के पल जीना चाहते हैं. जब हमारे दिमाग में ऐसा कोई ख्याल आता है तो हम सबसे पहले खुली और हरी भरी वादियों की तरफ अपना रुख मोड़ते हैं. अगर आप भी इस समय इस भाग दौड़ भरी जिंदगी से दूर किसी शांत, हरी भरी और पहाड़ियों वाली जगह जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए एक गाइड की तरह साबित होने वाली है. आज हम आपको ऋषिकेश के समीप उमरीसैन में मिट्टी के बने घरों में रहने के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. बाहर से देखने से ये घर आम मिट्टी के घरों की तरह लगेंगे लेकिन, जब आप इनके अंदर कदम रखेंगे तो आपके होश पूरी तरह से उड़ जाएंगे. इन मिट्टी के घरों में रहकर आप शांति के साथ-साथ प्रकृति का भी पूरा आनंद ले सकेंगे.

ऋषिकेश में कैसे हुई मड हाउस की शुरुआत

अगर आप मिट्टी के बने इन घरों के बारे में जानने में दिलचस्पी रखते हैं तो बता दें इन घरों का निर्माण दिल्ली के राघव और यश ने किया है. इन दोनों ने यह फैसला शहरी जीवन से दूर जाने के लिए लिया था. इन दोनों ने साथ मिलकर इस बात का फैसला लिया कि वह नेचर के करीब आशियाना बनाएंगे. उन्होंने ऐसे घर बनाने की सोची जहां आने पर आपको मेंटल और फिजिकल तनाव से राहत मिल सके और इसके साथ ही आप खुद को हेल्दी भी महसूस कर सकें. केवल यहीं नहीं आप इन घरों में रहकर काफी सुकून की नींद भी ले सकते हैं. अपने इस अनोखे सपने को पूरा करने के लिए इन दोनों ने एक छोटा सा फार्म फोर्ट बना डाला. इन घरों को बनाने के लिए उन्होंने ऋषिकेश के पास उमरीसैन में एक पहाड़ पर जमीन को चुना. इस खास जगह को चुनने के पहले उन्होंने कई तरह की बातों का भी खास ख्याल रखा.

ये मड हाउस क्यों है खास

आपको इन मिटटी से बने घरों के बारे में जानकर हैरानी होगी लेकिन, इन शानदार और खूबसूरत घरों को बनाने में लगभग 18 देशों से 90 से भी अधिक लोगों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इन घरों को बनाने में 547 दिनों का समय लगा. इन घरों की एक खास बात यह भी है कि इन्हें तैयार करने के लिए किसी बड़े इंजीनियर, एक्सपर्ट या फिर वास्तुकार की मदद नहीं ली गयी थी. मिटटी के ये घर करीबन 600 वर्ग फुट में बने हुए हैं और इन्हें बनाने के लिए जो मिटटी है वह करीबन 150 मीटर दूर से लायी गयी है. इन घरों को पत्थर की चिनाई की नींव पर बनाया गया है.

परियों की कहानियों में होते हैं ऐसे घर

इन खूबसूरत घरों पर यूकेलिप्टस की लकड़ी की बीम से छतरी जाइए डिजाइन दिया गया है. वहीं, इसकी दीवारों को मजबूती देने के लिए छोटे-बड़े पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. जब आप इन घरों में रहने के लिए जाएंगे तो यहां पर आपको लकड़ी की सीढ़ियां, बांस का इस्तेमाल कर बनाई गयी टोकरियां, लकड़ी के झूमर और बेकार स्लेट की मेज देखने को मिलेगी. केवल यहीं नहीं, मिटटी के इन घरों की सजावट करने के लिए चीनी मिट्टी से बनी कई तरह की चीजों का भी इस्तेमाल किया गया है. जब आप इन घरों के अंदर कदम रखेंगे तो यहां आपको बेड रूम, टॉयलेट, लिविंग रूम के साथ ही रोजाना के इस्तेमाल की कई तरह की चीजें दिखाई देंगी. यह घर आपके कई तरह के मामूली जरूरतों को काफी आसानी से पूरा कर सकता है. जब आप इन घरों के आसपास देखेंगे तो आपको हरी-भरी वादियों के साथ बहती हुई गंगा के भी दर्शन होंगे.

Next Story