परफेक्ट’ दिखने की होड़ में खो रहा है सुकून: सोशल मीडिया की चमक के पीछे छिपा तनाव

परफेक्ट’ दिखने की होड़ में खो रहा है सुकून: सोशल मीडिया की चमक के पीछे छिपा तनाव
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आज का युवा वर्ग पहले से ज्यादा सजग, स्मार्ट और सोशल हो गया है। हर पल कैमरे में मुस्कुराता चेहरा, जिम में पसीना बहाता शरीर, या कैफे में कॉफी की चुस्कियों के बीच हंसी — सबकुछ परफेक्ट दिखता है। लेकिन इस दिखावे के पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी है — मानसिक थकान, आत्मसंतोष की कमी और “लाइक” के लिए जीने की मजबूरी।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले दो वर्षों में युवाओं में “डिजिटल परफेक्शन सिंड्रोम” तेजी से बढ़ा है। यानी, ऑनलाइन दुनिया में आदर्श जीवन दिखाने की इतनी चाह कि असली जिंदगी असंतुलित होने लगी है।

हर मुस्कान के पीछे है बेचैनी

21 वर्षीय छात्रा रिद्धिमा जैन (परिवर्तित नाम) इंस्टाग्राम पर फिटनेस और लाइफस्टाइल पोस्ट करती हैं। उनके फॉलोअर्स बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन वे खुद बताती हैं — “हर फोटो डालने से पहले दस बार सोचती हूँ, फिल्टर लगाती हूँ, कैप्शन बदलती हूँ। लाइक्स कम आएं तो बेचैनी होती है।”

रिद्धिमा जैसी हजारों युवतियाँ अब खुद से नहीं, स्क्रीन पर दिखने वाले अपने वर्जन से प्यार करने लगी हैं।

लाइक्स’ की कीमत पर नींद और आत्मविश्वास

23 वर्षीय छात्र अभिनव (परिवर्तित नाम) दिन में तीन बार जिम जाते हैं और हर सेशन की रील बनाते हैं। वे कहते हैं, “अगर वीडियो वायरल न हो तो लगता है मेहनत बेकार गई।”

डॉक्टर बताते हैं कि ऐसी स्थिति में मस्तिष्क लगातार ‘डोपामिन’ की मांग करने लगता है — यानी हर लाइक एक नशे की तरह काम करता है, और उसकी कमी बेचैनी में बदल जाती है।

**विशेषज्ञों की चेतावनी**

वरिष्ठ मनोचिकित्सक का कहना है — “सोशल मीडिया पर तुलना का दबाव युवाओं के आत्मविश्वास को तोड़ रहा है। हर कोई ‘परफेक्ट’ दिखना चाहता है, लेकिन यह परफेक्शन अवास्तविक है। इससे व्यक्ति आत्म-आलोचना, चिंता और डिप्रेशन में फँस सकता है।”

क्यों बढ़ रही है यह प्रवृत्ति

1. **डिजिटल तुलना का जाल** – दूसरों की सफल तस्वीरें देखकर युवाओं को लगता है कि वे पीछे छूट रहे हैं।

2. **समाज और परिवार का दबाव** – ‘अच्छा दिखना’ अब पहचान का हिस्सा बन चुका है।

3. **इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव** – फॉलोअर्स और लाइक्स की दौड़ में ‘रियल लाइफ’ का अर्थ ही बदल गया है।

**खुद को बचाने के लिए अपनाएं यह ‘रियलिटी रूटीन’**

1. सोशल मीडिया को साधन बनाएं, पहचान नहीं।

2. तुलना से बचें और अपनी क्षमताओं को पहचानें।

3. हर दिन कुछ समय ऑफलाइन बिताएं।

4. नींद, खानपान और मानसिक विश्राम को प्राथमिकता दें।

5. अगर खुद से असंतोष या तनाव बढ़े तो विशेषज्ञ की मदद लें।

अंत में...**

जीवन इंस्टाग्राम का फिल्टर नहीं, बल्कि बिना एडिट की असल तस्वीर है। खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप अपनी वास्तविकता को स्वीकार करें। परफेक्ट दिखने की चाह में कहीं आप अपने ‘असली खुद’ को न खो दें — क्योंकि असली फिटनेस वही है, जो शरीर ही नहीं, मन को भी स्वस्थ रखे।


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