सावधान!: कबूतर पालने वाले को हेल्थ से लेकर संपत्ति समेत ये हैं नुकसान

वैसे तो कबूतरों को दाना पानी डालना धर्म मना जाना जाता हे लेकिन कबूतरों की बीट और पंख न सिर्फ आपकी सेहत खराब कर रहे हैं, बल्कि आपके वाहन, घर और घरेलू सामान को नुकसान पहुंचाकर आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। यह आर्थिक नुकसान स्वास्थ्य, संपत्ति और रखरखाव से जुड़ा है।
ये ऐसे छोटे-छोटे खर्च हैं जिनका आपको अहसास नहीं होता लेकिन ये साल भर आपकी जेब पर चोट करते रहते हैं। इससे बचने का कोई कारगर उपाय नहीं है, अगर आप अपनी कार को कवर करते हैं तो आपको हर एक-दो महीने में यह कवर बदलना पड़ सकता है, क्योंकि कबूतरों की बीट उसे इतना गंदा कर देती है कि लंबे समय तक उसका इस्तेमाल संभव नहीं हो पाता।
ऐसे कई खर्च हैं जो दिखने में तो छोटे लगते हैं, लेकिन इन्हें मिलाकर देखा जाए तो ये आपकी जेब पर भारी नुकसान पहुंचाते हैं। कबूतर शहरी जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन इनकी अनियंत्रित आबादी मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए चुनौती बनती जा रही है। इस पर प्रभावी नियंत्रण जरूरी है।
स्वास्थ्य व्यय: कबूतरों की बीट और पंखों से हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस जैसी फेफड़ों की बीमारियां होती हैं। दिल्ली के बहुत से लोग इससे पीड़ित हैं, जिससे उनका चिकित्सा व्यय बढ़ रहा है।
संपत्ति को नुकसान: कबूतरों की बीट अम्लीय होती है, जो इमारतों, वाहनों और अन्य संरचनाओं को नुकसान पहुँचा रही है। यह घरों, वाहनों और अन्य धातु की वस्तुओं और उनके पेंट को नुकसान पहुँचाती है। धातु में जंग लग जाती है, छत, बालकनी की बार-बार मरम्मत में अनावश्यक खर्च करना पड़ता है। इन मरम्मत कार्यों में होने वाले खर्च से परिवार का बजट गड़बड़ा जाता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता है।
सफाई और रखरखाव का खर्च: कबूतरों की बीट और पंखों से फैली गंदगी को साफ करने के लिए नियमित सफाई जरूरी है। इसके लिए श्रम, सफाई सामग्री और कभी-कभी पेशेवर सफाई सेवाओं की मदद की भी जरूरत होती है। इस अतिरिक्त खर्च का बोझ आपकी जेब खाली करता रहता है। सार्वजनिक स्थानों, व्यावसायिक भवनों आदि में यह खर्च और भी बढ़ जाता है।
कृषि और व्यापार पर प्रभाव: खेतों या गोदामों के आसपास रहने वाले कबूतरों की बीट से फसलों और भंडारित माल को भारी नुकसान होता है। इससे क्षतिग्रस्त माल की कीमत कम हो जाती है और फसल बेकार हो जाती है। इसके कारण किसानों और व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कबूतरों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए किए गए निवेश: कबूतरों को दूर रखने के लिए लोग जाल, चमकदार वस्तुएं और अन्य उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। इनसे भी भारी खर्च होता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक नुकसान हो रहा है।
संपत्ति को नुकसान: कबूतरों की बीट ऐतिहासिक इमारतों, स्मारकों, वाहनों और अन्य सतहों को नुकसान पहुंचा रही है। उनकी बीट के कारण संरचनाओं को नुकसान पहुंचने की शिकायतें अक्सर आती रहती हैं। घोंसले के कारण एयर कंडीशनर इकाइयों और नालियों में रुकावट की शिकायतें भी आती रहती हैं।
शोर और गंदगी: कबूतरों की बढ़ती संख्या के कारण बहुत शोर होता है, खासकर सुबह और शाम के समय। उनकी बीट से दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
हवाई सुरक्षा को खतरा: कबूतरों की मौजूदगी से हवाई अड्डों पर "पक्षी हमले" का खतरा बढ़ जाता है। पक्षियों के विमानों से टकराने का खतरा हमेशा बना रहता है। इसे रोकने के लिए सरकार और हवाई अड्डा प्राधिकरण को हर साल भारी खर्च करना पड़ता है।
असंतुलन: पक्षीविज्ञानियों के अनुसार कबूतरों की बढ़ती संख्या अन्य देशी पक्षियों (गौरैया और लार्क) के लिए भोजन और घोंसले के मामले में समस्याएँ पैदा कर रही है। इससे स्थानीय जैव विविधता प्रभावित होती है।