पहले सावन में मायके क्यों जाती है नई-नवेली दुल्हन ?

पहले सावन में मायके क्यों जाती है नई-नवेली दुल्हन ?
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सावन का महीना भारतीय संस्कृति में बहुत खास माना जाता है, खासकर नई नवेली बहुओं के लिए। परंपरागत रूप से, शादी के बाद जब पहली बार सावन आता है, तो बहू को उसके मायके भेजा जाता है। इसके पीछे कई सांस्कृतिक और भावनात्मक कारण होते हैं।यह प्रथा नई बहू को ससुराल में समायोजित होने और अपने पति के परिवार के साथ सहज महसूस करने में मदद करती है।




इस परंपरा का उद्देश्य है कि शादी के बाद बहू को कुछ समय अपने माता-पिता के साथ बिताने का मौका मिले। मायके में उसका मनपसंद खाना, बचपन की यादें, और मां का दुलार , ये सब मिलकर उसका मन खुश कर देते हैं। यही वजह है कि सास भी इस समय बहू को खुशी-खुशी विदा करती हैं, ताकि वो अपने पहले सावन को पूरी आत्मीयता से जी सके।

नई शादी के बाद बहू अपने ससुराल में नई ज़िंदगी शुरू करती है। ऐसे में सावन के बहाने वह अपने पुराने माहौल में लौटकर सुकून और अपनापन महसूस कर पाती है। सावन में हरियाली तीज, नाग पंचमी, और मंगला गौरी व्रत जैसे कई पर्व आते हैं, जिन्हें बहुएं अपने मायके में पूरे उल्लास के साथ मनाती हैं। वहां उसकी सहेलियां, बहनें और मां के साथ मिलकर उसका पहला सावन खास बनता है।

परंपरागत मान्यता है कि सास स्वयं बहू को आशीर्वाद देकर मायके भेजती हैं, जिससे रिश्ते में प्यार और समझदारी बनी रहे। बारिश और हरियाली का यह मौसम भावनाओं से जुड़ा होता है। ऐसे में बहू को अपने बचपन की यादों, परिवार और भावनात्मक जुड़ाव के साथ वक्त बिताने का अवसर मिलता है।

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