क्यों ‘कसमें-वादे’ टूट जाते हैं, लोग साथ क्यों छोड़ जाते हैं: रिश्तों में घोस्टिंग की हकीकत

क्यों ‘कसमें-वादे’ टूट जाते हैं, लोग साथ क्यों छोड़ जाते हैं: रिश्तों में घोस्टिंग की हकीकत
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क्या आपने कभी सोचा है कि जो कल तक हमेशा साथ होने की कसमें खा रहा था, वही अचानक बिना कुछ कहे ऐसे गायब हो जाता है जैसे वो कभी था ही नहीं?

एक दिन घंटों तक प्यार भरी बातें…

और अगले दिन न रिप्लाई, न कॉल, न कोई वजह।

बस एक खामोशी, जो दिल को अंदर तक तोड़ देती है।

आज के डिजिटल दौर में इस व्यवहार को कहते हैं घोस्टिंग — एक ऐसा तरीका जो रिश्तों को बिना वजह के अचानक खत्म कर देता है।

घोस्टिंग क्या है

घोस्टिंग का मतलब है बिना किसी कारण बताए रिश्ते या बातचीत से अचानक पूरी तरह दूर हो जाना।

आप मैसेज करें या कॉल, सामने वाला जवाब ही न दे। कई बार वो ब्लॉक भी कर देता है या बस सीन पर छोड़ देता है।

यानी रिश्ते का अंत, लेकिन बिना किसी स्पष्टीकरण के।




लोग घोस्ट क्यों करते हैं

रिश्ते से भागना हमेशा बुरे इरादे से नहीं होता। इसकी कई मनोवैज्ञानिक वजहें होती हैं।

भावनाओं का डर

कुछ लोग भावनात्मक बातचीत या ‘ना’ कहने से डरते हैं। उन्हें लगता है बात करना कठिन होगा, इसलिए गायब हो जाना आसान है।

जिम्मेदारी से भागना

जैसे ही रिश्ता गंभीर होता है, कुछ लोगों को जिम्मेदारी भारी लगने लगती है और वे दूरी बनाने लगते हैं।

बेहतर विकल्प की तलाश

डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया ने यह सोच बढ़ा दी है कि शायद आगे कहीं बेहतर मिल जाए। इस असुरक्षा से भी लोग घोस्ट करते हैं।

झगड़े से बचना

टकराव से डरने वाले लोग खुलकर बात करने के बजाय चुपचाप हट जाते हैं।

मानसिक स्थिति

इंट्रोवर्ट होना, चिंता होना या किसी भावनात्मक चोट के बाद रिश्तों से घबराना — ये भी बड़ी वजहें हैं।

घोस्टिंग का असर

सबसे ज्यादा चोट इसलिए लगती है क्योंकि रिश्ता खत्म होता है, पर वजह नहीं मिलती।

यह सवाल परेशान करते रहते हैं

मेरी गलती क्या थी

मैं क्यों पर्याप्त नहीं था

क्या सामने वाले के साथ कुछ बुरा हुआ

ऐसे विचार तनाव, चिंता और आत्मविश्वास की कमी पैदा कर सकते हैं।

क्या हर घोस्टिंग गलत होती है

नहीं।

अगर कोई रिश्ता टॉक्सिक, अपमानजनक या मानसिक रूप से परेशान करने वाला हो, तो घोस्टिंग एक सुरक्षा हो सकती है।

लेकिन बिना वजह गायब होकर किसी भावनात्मक रूप से जुड़े इंसान को चोट पहुंचाना गलत है।

घोस्टिंग से कैसे बचें

शुरुआत में सीमाएं तय करें — बातचीत, उम्मीदें और आगे का रवैया

भरोसेमंद और स्थिर लोगों को चुनें

सोशल मीडिया इंटरैक्शन को सच्चा रिश्ता न मानें

जल्दी भावनात्मक रूप से जुड़ने से बचें

अपने सम्मान और भावनाओं को प्राथमिकता दें

अगर कोई आपको घोस्ट कर दे, तो क्या करें

खुद को दोष न दें

एक बार विनम्र संदेश भेजकर स्थिति साफ करने की कोशिश करें, फिर रुक जाएं

पीछा न करें

अपनी ऊर्जा परिवार, दोस्तों और काम में लगाएं

याद रखें — आप ऐसे व्यक्ति के लायक हैं जो साथ देने की हिम्मत रखता हो

निष्कर्ष

कसमें-वादे कोई भी कर सकता है, पर साथ निभाने के लिए भावनात्मक परिपक्वता और ईमानदारी चाहिए।

घोस्टिंग का दर्द गहरा होता है, लेकिन सही लोगों को चुनकर और खुद को प्राथमिकता देकर आप इस भावनात्मक चोट से बच सकते हैं।

सही लोग सिर्फ वादे नहीं करते — वे निभाते हैं।

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