दिल खोलकर दोस्तों से मिलिए

दिल खोलकर दोस्तों से मिलिए

पिछले कुछ हफ्तों से मैं एक प्रयोग कर रही हूं। मैं अपने दोस्तों को घर बुलाती हूं, कुछ भी न करने के लिए। मैं उनसे कहती हूं कि अगर वे चाहें तो साथ में चाय पीने आ सकते हैं। जब मेरी कोई दोस्त अपना कुत्ता टहलाती है, तो मैं भी उसके साथ निकल जाती हूं। जब मुझे बाजार से कुछ सामान लेना होता है, तो मैं अपनी किसी साथी को ढूंढती हूं, जो मेरे साथ चल सके। शुरुआत में मेरे दोस्तों को यह सब कुछ अजीब लगा, लेकिन अब वे भी इसे खेल की तरह लेती हैं। यह तो सब जानते हैं कि दोस्ती हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है। लेकिन शीला लीमिंग की पुस्तक हैंगिंग आउट : द रेडिकल पावर ऑफ किलिंग टाइम पढ़ने के बाद मुझे दोस्तों से मिलने-जुलने की प्रेरणा मिली। यह किताब बताती है कि बगैर किसी योजना या उद्देश्य के दोस्तों से मिलना रिश्तों को बेहतर बना सकता है। जब आप बच्चे होते हैं, तो आपके पास पैसा और परिवहन के साधन सीमित होते हैं, तब आप दोस्तों के साथ स्वाभाविक ढंग से घूम लेते हैं।

 

वयस्कों की मित्रता पर शोध करने वाली बोइस स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफेसर जेसिका एयर्स कहती हैं, ‘वयस्कों का एक-दूसरे से मिलने का हमेशा एक मकसद होता है।’ वह कहती हैं, ‘अक्सर हम सोचते हैं कि कोई चीज तभी फायदेमंद है, जब वह उत्पादक हो। लेकिन किसी के साथ आराम से बैठना और आराम करना भी उत्पादक हो सकता है।’ दरअसल, उत्पादक होने की परिभाषा सभी के लिए अलग-अलग हो सकती है। किसी को डिस्को में, तो किसी को निर्जन वन में अकेले समय बिताना उत्पादक लग सकता है। इसलिए उत्पादकता की अपनी परिभाषा भी बदलिए। आप सिर्फ काम के लिए नहीं, आराम के लिए भी बने हैं।

चैंपलेन कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर लिमिंग कहती हैं, ‘बगैर किसी मकसद के किसी के साथ बाहर घूमने में शुरुआत में थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन बाद में इससे घनिष्ठता बढ़ती है।’ वह कहती हैं, ‘साथ रहना दरअसल एक कला है, जो सीखी जा सकती है। अगर आप अपने मित्र के साथ बगैर किसी उद्देश्य के रह सकते हैं, तो इससे बढ़कर अंतरंगता नहीं हो सकती।’ यह संबंधों को दूसरे ढंग से देखने का तरीका भी है। याद रहे, आपका कोई दोस्त बगैर किसी उद्देश्य के आपके साथ टहल रहा है, तो इसकी वजह यह नहीं है कि उसके पास करने के लिए कोई काम नहीं है, बल्कि यह है कि वह दिल से आपके साथ कुछ समय बिताना चाहता है।

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