कहीं ये वो तो नहीं: खुश करने वाली खबरों का तांता, ...

तिलिस्म की दुनिया जितनी सुंदर होती है, उसे तोड़ने वाले उतने ही निष्ठुर होते हैं। इस सच का उद्घाटन होने पर दिल टूटने जैसा कुछ महसूस हुआ था। डर्बी की रेस में पांच करोड़ रुपये जीतने की खबर पढ़कर मेरे पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। खबर किसी अनजान ने मेरे मोबाइल फोन का छप्पर फाड़कर मुझ तक पहुंचाई थी।

उस पांच करोड़ रुपये पाने के पहले बैंक चार्ज और टैक्स की राशि चुकाने के लिए महज पांच लाख रुपये जमा कराने थे। सुनता आया था कि ‘बिना मरे स्वर्ग भी नहीं मिलता।’ फिर पांच करोड़ पाने के लिए पांच लाख का खर्च क्या बुरा था। हालांकि उतनी रकम अपने पल्ले थी नहीं, पर अपना दो बीएचके का फ्लैट गिरवी रखकर लोन तो मिल ही जाता।

अफसोस कि मेरी इतनी खुशी भी उस तिलिस्म तोड़ने वाले से नहीं देखी गई। मैं कुछ कदम उठाता, उससे पहले ही किसी ने चेताया कि नाइजीरिया से आई यह लुभावनी खबर महज जालसाजों की कारस्तानी है। उसके बाद कभी कोला कंपनी के लकी ड्रा में पचास लाख का इनाम मिला तो कभी नामी कार वालों के लकी ड्रा में दो करोड़ की लाटरी हाथ लगी, पर नाइजीरिया वालों के भय से दूर से ही संतोष करना पड़ा।

कुछ दिनों के बाद मेरे फोन और लैपटाप पर उर्वशी, जूली या जूही जैसे नामों द्वारा भेजी हुईं ई-मेल एक से बढ़कर एक खुशखबरी देने लगीं। ऐसे संदेश आने बंद हो गए, जिनमें लाटरी मिलने से पहले कोई प्रोसेसिंग चार्ज देना पड़े। एक झड़ी-सी लग गई क्रेडिट कार्ड देने वालों के संदेशों की।

दो-चार लाख रुपये की लिमिट वाले मेरे नए क्रेडिट कार्ड के नंबर वे सीधे बताते। केवल मेरा बैंक अकाउंट नंबर मांगते हैं, ताकि मेरा नया प्लेटिनम या रेडियम क्रेडिट कार्ड लिंक करके मुझे क्रेडिट कार्ड देने की अपनी अभिलाषा वे पूरी कर लें। बात सिर्फ क्रेडिट कार्ड तक सीमित नहीं रही।

बड़े-बड़े बैंक वाले मेरा खाता खोलकर दस-बीस लाख रुपये का लोन देने के लिए मरे जा रहे हैं। क्लब और रिजार्ट वाले हाथ जोड़कर प्रार्थना किए जा रहे हैं कि उनके दुबई या बाली के रिजार्ट में तीन रोमांटिक रातें और चार सुनहरे दिन मुफ्त बिताने के लिए बस एक बार हामी भर दूं।

ऐसे रिजार्ट में डबल बेड वाला डीलक्स कमरा बुक करने के लिए उन्हें मेरे आधार कार्ड की जरूरत पड़ेगी। यहां तक तो बात समझ में आती है, लेकिन इसके बाद उन्हें यह जानने की मजबूरी हो जाती है कि मेरे आधार कार्ड से मेरा बैंक अकाउंट लिंक किया गया है या नहीं।

शायद मेरे भाग्य में कुछ भी मुफ्त मिलने का सुख नहीं लिखा है। जब कभी ऐसे प्रश्न का जवाब देने की सोचता हूं तो कोई न कोई मना करने वाला आ जाता है। सब यही सलाह देते हैं कि किसी अनजान नंबर से आए फोन पर अपने विषय में कोई सूचना न दूं।

अब कई हितैषी यह कहने लगे हैं कि अनजान नंबर से आए फोन काल उठाऊं ही नहीं। इसके चलते अच्छी खबर देने वालों के बीच मेरे शंकालु स्वभाव की खबर इतनी तेजी से फैली कि अचानक शुभ समाचारों का टोटा पड़ गया। अब मेरे “चहेतों” ने पैंतरा बदल लिया है।

वे पुचकारना छोड़कर सीधे धमकी देने पर उतारू हो गए हैं। पिछले एक महीने में पांच बार कस्टम वालों के यहां से फोन आ चुका है कि जो पार्सल मैंने अपनी भतीजी के नाम कैलिफोर्निया भेजा था, उसे उन्होंने जब्त कर लिया है। कहते हैं उस पार्सल के अंदर नशीली ड्रग्स थी।

फिर धमकाते हैं कि या तो उनके सवालों का जवाब दूं या पुलिस की गिरफ्त में आने के लिए तैयार हो जाऊं। फिर “थाने” से भी फोन आ जाता है कि कस्टम वालों की रिपोर्ट उनके पास दर्ज की जा चुकी है और वे मुझसे मिलने के लिए आतुर हैं।

इसके पहले कि मैं उनके सवालों के उत्तर देने के लिए मन बना पाता, उन्होंने मेरी गिरफ्तारी भी घोषित कर दी। खैरियत थी कि यह गिरफ्तारी आभासी थी और मैंने स्वयं को असली लोहे की सलाखों के पीछे नहीं पाया।

अब तो इतनी चेतावनियां मिल रही हैं कि मैंने तंग आकर ऐसे सभी फोन काल से मुंह मोड़ लिया है। अब मोबाइल की घंटी बजती है तो मन में लता मंगेशकर की आवाज में कैफी आजमी साहब का गीत गूंजने लगता है-‘जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है-कहीं ये वो तो नहीं।’

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