अटकलें तेज: राजस्थान में चंद्रशेखर की वापसी ! बीजेपी में फेरबदल, !!

राजस्थान में चंद्रशेखर की वापसी  ! बीजेपी में फेरबदल, !!
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राजस्थान में अब चंद्रशेखर की संगठन मंत्री के रूप में वापसी की अटकलें फिर से तेज हो गई हैं। उनके कार्यकाल में बीजेपी ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीता था और तेलंगाना में लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें चार से बढ़कर आठ हो गई थीं। संगठन की दृष्टि से, चंद्रशेखर की वापसी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी दोनों के ही ब्राह्मण होने के चलते प्रदेश अध्यक्ष की सीट में बदलाव किया जा सकता है। हालांकि, सीपी जोशी के चुनाव जीतने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें अब दिल्ली में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसीलिए प्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त हो सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद से संगठन मंत्री का पद भी खाली पड़ा है, जिसे जल्द ही भरा जा सकता है। पिछले छह सालों से सक्रिय संगठन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे चंद्रशेखर ने संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके कार्यकाल में पन्ना प्रमुख, बूथ अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष की 50,000 से अधिक लोगों की टीम खड़ी की गई थी। इसके अलावा उनके नेतृत्व में बीजेपी ने राजस्थान के 33 जिलों में अपने कार्यालय भी बनाए थे। साल 2023 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत का श्रेय भी काफी हद तक चंद्रशेखर को दिया जाता है। हालांकि, चुनाव के बाद उन्हें राजस्थान से तेलंगाना भेज दिया गया, जिससे यह पद खाली हो गया।बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चाओं से पता चला है कि प्रदेश के कई बड़े नेता चंद्रशेखर की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से कई बार शिकायतें की थीं। इसके परिणाम स्वरूप, चंद्रशेखर को राजस्थान से विदा कर दिया गया। उनके जाने के बाद प्रदेश के बड़े नेताओं की संगठन में पकड़ और प्रभाव बढ़ गई, जिससे टिकट बंटवारा और बड़े पदों पर अपने-अपने समर्थकों को बैठाने जैसी गतिविधियों में इजाफा हुआ।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने बिना संगठन मंत्री के चुनाव लड़ा, जिसका नतीजा चार जून को सबके सामने आया। कांग्रेस, जो चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं थी, उसने राजस्थान में 25 सीटों में से सीटें जीत लीं, जिसके चलते लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से दूर रह गई, जिसके कारण बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। पार्टी के भीतर कई बड़े नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को संतुष्ट करने के लिए, लिए गए फैसलों ने राजस्थान प्रदेश बीजेपी इकाई को पीछे छोड़ दिया है।


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