केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर का किया दौरा

जोधपुर। भारत सरकार के कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को जोधपुर में ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर का दौरा किया, यह वस्त्र मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद ईपीसीएच के जोधपुर ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर (टीएफसी) का उनका पहला दौरा है। मंत्री का स्वागत ईपीसीएच के अध्यक्ष दिलीप बैद ने किया। इस अवसर पर ईपीसीएच सीओए के सदस्य - हंसराज बहेती और निर्मल भंडारी; कपड़ा मंत्रालय की संयुक्त सचिव प्राजक्ता वर्मा; प्रमुख सदस्य निर्यातक राधे श्याम रंगा; कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा और जोधपुर के सदस्य निर्यातक भी मौजूद रहे ।

वस्त्र मंत्री जोधपुर के ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर में निर्यातक सदस्यों से मिले और उनसे बातचीत की I इस बातचीत के दौरान हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास से जुड़े कई मुद्दे उठाए गए, जैसे एमएसएमई प्रावधान के तहत निर्यातकों के लिए समय पर भुगतान की प्राप्ति से संबंधित छूट, शिपिंग लाइनों के जरिए लगाए गए उच्च कंटेनर शुल्क, मौसमी कार्यभार के अनुरूप हस्तशिल्प के लिए श्रम कानूनों का अनुरोध, लकड़ी से संबंधित प्रमाणन को लेकर आवश्यक अनुपालन के लिए वित्तीय सहायता, वन कटाई मुक्त उत्पादों पर यूरोपीय संघ विनियमन (ईयूडीआर), लकड़ी के लिए टेस्टिंग लैब की स्थापना, जीआई यानी भौगोलिक संकेतक उत्पादों को प्रोत्साहन राशि, जोधपुर से मुंद्रा बंदरगाह तक डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेन, इत्यादि I

कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि ईपीसीएच ने 2030 तक निर्यात को तीन गुना बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, और उन्हें हस्तशिल्प निर्यातकों द्वारा किए गए अनुरोध पर विचार करेंगे और वे समाधान खोजने के लिए अन्य मंत्रालयों के साथ समन्वय करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने सभी सदस्य निर्यातकों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समन्वय करने और काम करने का आग्रह किया।

ईपीसीएच के चेयरमैन दिलीप बैद ने अपने संबोधन में कहा कि ईपीसीएच में हम महसूस करते हैं कि वैश्विक कंपनियों द्वारा चीन-प्लस-वन नीति अपनाने के बाद से नए अवसर सामने आए हैं। परिषद ने 2030 तक हस्तशिल्प के निर्यात को तीन गुना बढ़ाकर 1 लाख करोड़ करने का महत्वाकांक्षी लेकिन हासिल करने योग्य लक्ष्य रखा है। हम इस क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपना रहे हैं जिसमें नए उत्पाद और डिजाइन विकास पर ध्यान केंद्रित करना; उत्पादकता में वृद्धि; बेहतर पैकेजिंग और ब्रांड निर्माण शामिल हैं।

ईपीसीएच के सीओए सदस्य हंसराज बहेती ने कहा कि जोधपुर के सभी निर्यातक इस महत्वपूर्ण शिल्प क्लस्टर से निर्यात बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भारत सरकार द्वारा जोधपुर में स्थापित किए जा रहे रेलवे कंटेनर डिपो और राजस्थान सरकार द्वारा जोधपुर में स्थापित किए जा रहे कंटेनर डिपो को जल्द से जल्द चालू करने का मुद्दा उठाया।

ईपीसीएच के सीओए सदस्य निर्मल भंडारी ने बताया कि टीएफसी व्यापार मेलों, खुदरा प्रदर्शनियों, क्रेता-विक्रेता बैठकों, विशेष प्रचार कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और सम्मेलनों के आयोजन के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। उन्होंने आगे कहा कि यह केंद्र जोधपुर में एक महत्वपूर्ण स्थल है जो उद्यमिता को बढ़ावा देने, हस्तशिल्प के निर्यात को सुविधाजनक बनाने और कई अन्य लोगों को आजीविका प्रदान करने में मदद करता है।

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा कि "जोधपुर में टीएफसी में मंत्री गिरिराज सिंह का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान की बात है। वस्त्र मंत्रालय के मार्गदर्शन में ईपीसीएच ने हमेशा हस्तशिल्प क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। हमें विश्वास है कि मंत्री के विजन के तहत हम आने वाले भविष्य में जबरदस्त सफलता हासिल करेंगे।" वर्मा ने निर्यात बढ़ाने और देश के हस्तशिल्प उद्योग के विकास में सहयोग देने के लिए ईपीसीएच के समर्पण पर जोर दिया।

यात्रा के दौरान मंत्री ने राजस्थान के हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी देखी, जिसमें कारीगरों ने लाइव प्रदर्शन किया। उन्होंने कारीगरों से बातचीत की और उनके शिल्प की सराहना की और कहा कि हस्तशिल्प कारीगर वास्तव में इस क्षेत्र की रीढ़ हैं और यदि इस क्षेत्र को आगे बढ़ाना है तो यह महत्वपूर्ण है कि कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित और बढ़ावा दिया जाए।

ईपीसीएच देश से हस्तशिल्प के निर्यात को दुनिया के विभिन्न स्थानों तक पहुंचाने के लिए बढ़ावा देने और हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं की उच्च गुणवत्ता के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की छवि को विदेशों में पेश करने की एक नोडल संस्थान है I ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि साल 2023-24 के दौरान हस्तशिल्प का निर्यात 32758.80 करोड़ रुपये (3956.46 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का रहा, इसमें पिछले वर्ष की तुलना में रुपये के लिहाज से 9.13% और डॉलर में 6.11% की वृद्धि हुई I

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