डोटासरा बोले- बागियों को हुई फंडिंग, नरेश ने पानी की तरह बहाया पैसा, कहीं से तो आया होगा
राजस्थान में उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं कि न तो वे बागी साध पाए और न ही गठबंधन बचा पाए। नतीजा, भाजपा पांच सीटें जीत गई और कांग्रेस के खाते में सिर्फ दौसा सीट आई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले चुके हैं। कह रहे हैं कि हार के कारणों की रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई करेंगे। इसके साथ ही डोटासरा ने भाजपा सरकार पर एक बड़ा आरोप भी लगाया है कि बागियों को फंडिग भाजपा ने करवाई। सियासत में उठ रहे इन सभी सवालों को लेकर अमर उजाला ने डोटासरा से खास बातचीत की।
सवाल: विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने कांग्रेस की भारी किरकिरी करवाई है। नरेश मीणा टिकट बंटने तक कांग्रेस में थे, वे टिकट मांग रहे थे, आपसे मिले भी, फिर बागी कैसे हो गए?
गोविंद सिंह डोटासरा जवाब: निर्दलीयों को फंडिंग की गई। सरकार के मंत्री और वरिष्ठ नेता इसमें शामिल हैं। यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। देवली उनियारा में किसी से पूछ लीजिए। नरेश पहले छबड़ा से चुनाव लड़ रहे थे, आज यहां पर चुनाव लड़ रहे हैं, कल दौसा में चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे। देवली उनियारा के हमारे उम्मीदवार केसी मीणा मुझसे मिलकर गए हैं। वो कह रहे थे कि नरेश ने जिस तरह पैसा बहाया है यह कहीं ना कहीं से आया होगा। सरकार ने प्रलोभन देकर फंडिंग कर जो साधनों का अनुचित दुरुपयोग किया उसके आधार पर उपचुनाव जीते हैं।
सवाल: उपचुनाव में भाजपा पांच सीट जीत गई और कांग्रेस एक पर सिमट गई। कांग्रेस के टिकट बंटवारे को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या अब संगठन में कोई बदलाव होगा?
गोविंद सिंह डोटासरा जवाब: परिणाम हमारे पक्ष में नहीं हैं, लेकिन इसमें निराशा की कोई बात नहीं है। हम इस पर मंथन और मनन करेंगे, इस पर रिपोर्ट लेंगे और संगठन को आगे चुस्त बनाकर काम करेंगे। संगठन में कोई बदलाव करना होगा तो करेंगे। रही बात टिकट बंटवारे की तो सभी की सहमति से टिकट बांटे गए। थोड़ा जल्दी टिकट बांट पाते तो शायद नतीजे कुछ और होते। उपचुनाव में हमारे सामने एक चुनौती थी, क्योंकि हमारी जो फर्स्ट लाइन के मजबूत नेता सांसद बन गए, हमें दूसरी कतार के नेताओं को तैयार करना था, इसलिए हमने सेकंड लाइन तैयार करने के लिए वहां के स्थापित नेताओं और संगठन की राय लेकर टिकट दिए। हमारी समझ से अच्छा किया, लेकिन परिणाम ठीक नहीं आए। झुंझुनू में राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने माइनोरिटी वोटर्स को लामबंद करके अलग नरेटिव बनाने की चेष्टा की, उनके वोट काटे। देवली उनियारा में नरेश मीणा की वजह से नुकसान हुआ। वोटिंग के दिन 11:00 बजे थप्पड़ कांड हो गया, उसके बाद तो दूसरे तरीके की राजनीति वहां पर हुई और वोटो में एक दूसरे तरीके की लामबंदी हो गई।
सवाल: कहां लोकसभा में कांग्रेस गठबंधन से कई सीटें जीती थीं लेकिन उपचुनाव में इंडिया गठबंधन बिखर गया, आपने गठबंधन नहीं होने दिया, इसका नुकसान हुआ?
जवाब: यह बिल्कुल गलत बात है। गठबंधन का फैसला पार्टी हाई कमान करता है। किसी भी राज्य में राज्य स्तर पर फैसला नहीं होता है। 'आप' इंडिया गठबंधन में थी, लेकिन हरियाणा में तो नहीं हुआ, पंजाब में हम साथ में लड़े क्या? ये सब फैसले चाहे स्टेट में किसके साथ कौन लड़ेगा और केंद्र में कौन किसके साथ लड़ेगा, कौन इंडिया गठबंधन का हिस्सा होगा, किसको बाहर से समर्थन देंगे, यह सब पार्टी हाई कमान फैसला करता है।
सवाल: हनुमान बेनीवाल आप पर आरोप लगा रहे थे कि गमछा हिलाने वाले नेता ने गठबंधन नहीं होने दिया?
जवाब: बेनीवाल को आप पूछ लीजिए कि प्रदेश अध्यक्ष के नाते कभी उन्होंने टेलीफोन भी किया हो। मैं प्रदेशाध्यक्ष हूं, मुझसे चर्चा तो करते। उन्होंने कभी चर्चा तक नहीं की। कभी उन्होंने मुझे टेलीफोन किया हो तो बता दीजिए। पार्टी आला कमान से संपर्क किया होगा तो अलग बात है, उनके और पार्टी आलाकमान के बीच में कोई बात हुई हो तो मैं कैसे कह सकता हूं। मेरे पास पार्टी हाई कमान की तरफ से या बेनीवाल की ओर से गठबंधन की कोई बात नहीं आई। बाकी की जो बातें हैं सब हवा हवाई हैं, इसमें कोई सत्यता नहीं है।