टिब्बी एथेनॉल प्लांट के खिलाफ किसानों का आंदोलन सफल,: सरकार ने लगाई निर्माण पर रोक प्रोजेक्ट को किया जाएगा रिव्यू, तब तक नहीं होगा निर्माण

सरकार ने लगाई निर्माण पर रोक प्रोजेक्ट को किया जाएगा रिव्यू, तब तक नहीं होगा निर्माण
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श्रीगंगानगर,। हनुमानगढ़ जिले में टिब्बी तहसील के ग्राम पंचायत राठीखेड़ा के चक 5-आरके में प्रस्तावित 40 मेगावाट क्षमता वाले ड्यून एथेनॉल प्लांट के खिलाफ लंबे समय से चल रहे किसानों और ग्रामीणों के आंदोलन में आज देर रात एक बड़ा मोड़ आया है। लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस प्लांट के निर्माण पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। आज देर शाम हनुमानगढ़ जिला कलेक्ट्रेट के सभागार में हुई उच्च स्तरीय वार्ता में सरकार ने प्लांट की उच्च स्तरीय जांच का फैसला लिया है। इस दौरान प्लांट के अधिकारियों ने भी आश्वासन दिया कि समस्या का समाधान होने तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा।

यह आंदोलन पिछले वर्ष से चल रहा था, जब क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों ने प्लांट के निर्माण के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू किया। उनका मुख्य आरोप था कि यह प्लांट पर्यावरण और जन स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। प्लांट की स्थापना के लिए कांग्रेस की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने एक प्राइवेट कंपनी के साथ एमओयू साइन किया था। 2023 में लैंड कन्वर्शन का कार्य पूरा हुआ, लेकिन 2024 में जैसे ही निर्माण शुरू होने लगा, स्थानीय लोगों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। लगातार धरनों के कारण प्लांट का काम रुक गया, जिससे कंपनी की लागत बढ़ रही थी और आर्थिक नुकसान हो रहा था।

जानकारी के अनुसार कंपनी ने राज्य सरकार से दखल की मांग की, जिसके बाद 19 नवंबर को तड़के पुलिस की बड़ी टीम ने धरना स्थल को घेर लिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाया और उनका शामियाना उखाड़ दिया। इस घटना ने आंदोलन को और उग्र बना दिया। पिछले 20 दिनों में सोशल मीडिया पर प्लांट के खिलाफ व्यापक अभियान चला, जिसमें अन्य जगहों पर एथेनॉल प्लांट्स से होने वाले प्रदूषण और स्वास्थ्य प्रभावों के वीडियो और तथ्य साझा किए गए।

विगत 10 दिसंबर को टिब्बी में हुई महापंचायत में आंदोलन का चरम देखने को मिला। हजारों की संख्या में किसान और ग्रामीण जुटे, जिन्होंने प्लांट साइट पर घुसने की कोशिश की। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसके जवाब में उग्र भीड़ ने कई वाहनों को आग लगा दी और अन्य गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया। हिंसा की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने एक दिन पहले इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दीं, जो शुक्रवार तक जारी रहीं। इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया और सोशल मीडिया पर प्लांट के खिलाफ और अधिक सामग्री वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि अन्य एथेनॉल प्लांट्स से प्रदूषण फैल रहा है और लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

आज दोपहर से वार्ताओं का दौर शुरू हुआ, जो शाम 6 बजे जिला कलेक्ट्रेट में औपचारिक बैठक में बदल गया। यह बैठक देर रात तक चली। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वीके सिंह, बीकानेर संभाग के आयुक्त विश्राम मीणा, हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर डॉ. कुशाल यादव, आईजी हेमंत शर्मा सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। संघर्ष समिति की ओर से इंद्रजीतसिंह पन्नीवाला, रमेश भादू नगराना, बलतेजसिंह मसानी, मोहनसिंह राठौड़ पन्नीवाला, नितिन ढाका, रविंद्र आदि प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

वार्ता का मुख्य बिंदु प्लांट को लेकर स्थानीय लोगों की आशंकाओं और चिंताओं का समाधान था। सरकार ने फैसला लिया कि पहले उच्च स्तरीय जांच की जाएगी, जिसमें पर्यावरण, जन स्वास्थ्य और अन्य मानकों की समीक्षा होगी। जांच के बाद संघर्ष समिति के साथ चर्चा की जाएगी और क्षेत्रवासियों की सहमति से ही निर्माण का फैसला लिया जाएगा। प्लांट के अधिकारियों ने लिखित आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने तक कोई काम नहीं होगा। इस समझौते पर सभी पक्षों ने हस्ताक्षर किए, जिसे किसानों की बड़ी जीत माना जा रहा है।

बैठक में भाजपा के कई नेता भी मौजूद रहे, जिन्हें सरकार के प्रतिनिधि के रूप में शामिल बताया गया। इनमें भाजपा विधायक गुरवीर बराड़, पूर्व विधायक धमेंद्र मोची, भाजपा प्रदेश मंत्री विजेंद्र पूनिया, भाजपा के बीकानेर संभाग प्रभारी दशरथ शेखावत, संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा, एडीजी वीके सिंह, आईजी हेमंत शर्मा, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रमोद डेलू, पूर्व जिला अध्यक्ष देवेंद्र पारीक, कांग्रेस नेत्री शबनम गोदारा, कम्युनिस्ट नेता जगजीत जग्गी, पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष बलबीर बिश्नोई शामिल थे।

इससे पहले आज दिन में किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बुधवार की हिंसा के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के तबादले की मांग की। उन्होंने 17 दिसंबर को जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करने का ऐलान किया, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। हालांकि रात के समझौते के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि महापंचायत होती है या नहीं।

किसानों का कहना है कि प्लांट से पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ेगा, जबकि कंपनी को अब इन मानकों पर खरा उतरना होगा। सूत्रों के मुताबिक इस फैसले से प्लांट का प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जा सकता है।

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