राज्य के सरकारी कॉलेजों में अग्निवीर तर्ज पर व्याख्याता भर्ती का फैसला

राजस्थान में सरकारी कॉलेजों में खाली व्याख्याता पद अब अग्निवीर तर्ज पर भरे जाएंगे। यह भर्ती राजस्थान कॉलेज एजुकेशन सोसायटी (राजसेस) के अधीन संचालित 374 कॉलेजों में की जाएगी। हाल ही में मंत्रिपरिषद की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया।
निर्णय के अनुसार इन कॉलेजों में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों के लिए कुल 4724 पदों पर संविदा भर्ती निकाली जाएगी। इसमें से 3540 शैक्षणिक पदों पर यूजीसी मापदंडों के अनुसार नियुक्ति की जाएगी। इन पदों पर नियुक्ति 5 वर्ष की सेवा अवधि के लिए होगी और उन्हें मासिक 28 हजार रुपए वेतन दिया जाएगा। वहीं, यूजीसी मानक के अनुसार कॉलेज व्याख्याता का बेसिक वेतन 57,700 रुपए होता है।
विद्या संबल योजना के तहत कार्यरत व्याख्याता इस नए नियम से चिंतित हैं। डॉ. रवीन्द्र मोदी, डॉ. दीपेश यादव और डॉ. अंकिता नगरिया ने बताया कि पहले उन्हें 800 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मानदेय मिलता था, जो घर खर्च चलाने के लिए पर्याप्त था। अब यदि उन्हें केवल 28,000 रुपए मासिक दिए जाएंगे, तो वित्तीय तंगी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने सुझाव दिया है कि पहले विद्या संबल योजना में नियुक्त व्याख्याताओं को कॉलेजों में समायोजित किया जाए, उसके बाद खाली पदों पर नई भर्ती निकाली जाए।
प्राचार्य पदों में भारी कमी
राज्य के आधे से अधिक कॉलेजों में प्राचार्य पद रिक्त हैं। वर्तमान में 665 सरकारी कॉलेजों में से 374 कॉलेजों में प्राचार्य नहीं हैं। इनमें से केवल 100 कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य कार्यरत हैं, जबकि राजस्थान कॉलेज एजुकेशन सोसायटी के 150 कॉलेजों में सबसे वरिष्ठ शिक्षक ही प्राचार्य का कार्यभार संभाल रहे हैं।
इस कारण कई कॉलेजों में प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्य प्रभारियों अथवा वरिष्ठ व्याख्याताओं के भरोसे चल रहे हैं। कई कॉलेजों में बुनियादी संसाधनों और सुविधाओं की भी कमी है। इसके अलावा कॉलेज शिक्षा निदेशालय द्वारा मांगी जा रही सूचनाएं समय पर कॉलेजों से नहीं मिल पा रही हैं, जिससे शिक्षा प्रशासन पर असर पड़ रहा है।
इस निर्णय के बाद आगामी समय में संविदा भर्ती प्रक्रिया के साथ-साथ कॉलेजों में प्राचार्य पदों की नियुक्ति पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि शिक्षा प्रणाली सुचारू रूप से चल सके।
