जिला लोकपाल की जांच में खुला फर्जीवाड़ा, दोषी ग्राम विकास अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश

जिला लोकपाल की जांच में खुला फर्जीवाड़ा, दोषी ग्राम विकास अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश
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पाली जिले में मनरेगा योजना के तहत फर्जी श्रमिकों के नाम दर्ज करने और बाद में उन्हें कागजों पर मृत दिखाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। जिले के राजस्व गांव कीरवा और डिंगाई में पोर्टल पर एक ही दिन में दर्जनों श्रमिकों की मृत्यु दिखाई गई, जबकि गांवों में ऐसी कोई घटना या आपदा घटित नहीं हुई थी।

कीरवा गांव में 14 मई 2020 को मनरेगा पोर्टल पर एक ही दिन में 81 श्रमिकों की मौत दर्ज की गई। इसी तरह डिंगाई गांव में 2 मार्च 2023 को 99 श्रमिकों को मृत बताया गया। इतना ही नहीं, 23 फरवरी से 2 मार्च 2023 के बीच केवल आठ दिनों में यहां 120 श्रमिकों की मृत्यु दर्ज की गई।

गांवों में न कोई महामारी, न कोई आपदा

स्थानीय स्तर पर जांच करने पर पाया गया कि इन गांवों में न तो किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आई, न महामारी फैली। इसके बावजूद मनरेगा पोर्टल पर इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों की मौत दर्ज की गई। इस गड़बड़ी की जानकारी तब सामने आई जब जिला लोकपाल ने जांच शुरू की।

9 अक्टूबर 2025 को जिला लोकपाल ने पाली जिला कलेक्टर को लिखित सूचना भेजकर दोषी ग्राम विकास अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की।

सत्यापन में सामने आए फर्जी नाम

ग्राम पंचायत कीरवा में मनरेगा योजना के तहत 1728 श्रमिकों के जॉब कार्डों की जांच की गई। इनमें 1000 श्रमिक पंजीकृत पाए गए, जिनमें से 81 को एक ही दिन मृत बताया गया। जांच में यह भी सामने आया कि कई नाम डुप्लीकेट थे और कई लोगों को दूसरे परिवारों में स्थानांतरित दिखाया गया था।

इन गांवों में एक ही दिन में दर्ज हुई श्रमिकों की मौतें

– जाणुंदा गांव: 5 जनवरी 2020 को 36 मौतें

– कीरवा गांव: 14 मई 2020 को 81 मौतें

– डिंगाई गांव: 19 दिसंबर 2022 को 8 मौतें

– डिंगाई गांव: 23 फरवरी 2023 को 10 मौतें

– डिंगाई गांव: 26 फरवरी 2023 को 11 मौतें

– डिंगाई गांव: 2 मार्च 2023 को 99 मौतें

अन्य गांवों में भी गड़बड़ी की आशंका

अधिकारियों के अनुसार, पाली जिले के अन्य गांवों में भी इसी तरह के रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैं। जिला प्रशासन अब पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है ताकि जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जा सके।

यह मामला न केवल सरकारी रिकॉर्ड की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजना में किस तरह फर्जीवाड़े के माध्यम से सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।

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