15 लाख की गाड़ी का 50 लाख का चालान, झुंझुनू में यूनियन का जाम

जयपुर : विकास पायल ने बताया कि हमारी गाड़ियां उन खानों में चलती हैं, जिनकी सरकारी लीज है और माल का परिवहन भी सरकारी रवाना पत्र के आधार पर होता है। गाड़ियों की क्षमता 35 टन है, लेकिन जबरन उनमें 50 टन माल भरवाया जाता है और उसी पर सरकारी रवाना जारी होता है, जिस पर सरकार को फीस भी दी जाती है। यदि हम ओवरलोडिंग से इनकार करें तो रवाना पत्र जारी नहीं किया जाता।
डंपर यूनियन के प्रतिनिधि सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। इससे पहले मदन राठौर धरनास्थल पर जाकर यूनियन के सदस्यों से मुलाकात कर चुके हैं, जहां उन्होंने देशहित में धरना समाप्त करने की अपील की थी, जिसे यूनियन ने स्वीकार कर लिया था। भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद के शांत होने के बाद यूनियन के प्रतिनिधि अब भाजपा मुख्यालय पहुंचे। बातचीत में यूनियन के प्रवक्ता विकास पायल ने आरोप लगाया कि डंपर मालिकों को अनैतिक रूप से शोषण का शिकार बनाया जा रहा है।
सरकारी लीज वाली खानों में चलती हैं हमारी गाड़ियां
विकास पायल ने बताया कि हमारी गाड़ियां उन खानों में चलती हैं, जिनकी सरकारी लीज है और माल का परिवहन भी सरकारी रवाना पत्र के आधार पर होता है। गाड़ियों की क्षमता 35 टन है, लेकिन जबरन उनमें 50 टन माल भरवाया जाता है और उसी पर सरकारी रवाना जारी होता है, जिस पर सरकार को फीस भी दी जाती है। यदि हम ओवरलोडिंग से इनकार करें तो रवाना पत्र जारी नहीं किया जाता।
चालान सालभर बाद थोक में किए जाते हैं
प्रवक्ता ने बताया कि जब गाड़ियां ओवरलोड होकर बाहर निकलती हैं तो परिवहन विभाग चालान करता है, लेकिन चालान उसी दिन नहीं काटा जाता। अधिकारी जानबूझकर पूरे साल का चालान एक साथ करते हैं, जो कई बार गाड़ी की कीमत से भी ज्यादा हो जाता है। विकास पायल ने यह भी आरोप लगाया कि चालान न भरने की स्थिति में समझौते के लिए दबाव बनाया जाता है और यदि कोई ऊपर-नीचे करने से इनकार करे तो उसकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि पूरे राजस्थान में 10 से 15 गाड़ियों की आरसी रद्द हुई है, जबकि झुंझुनूं जिले में अकेले 600 से ज्यादा गाड़ियों की आरसी रद्द कर दी गई है। धरने के दबाव के बाद सरकार ने एक आरटीओ को निलंबित कर दिया है, लेकिन यूनियन की मांग है कि समस्या का स्थायी और जड़ से समाधान किया जाए, जिससे डंपर मालिकों को राहत मिल सके।