ऑनलाइन गेम्स की लत: मौत का खेल कब रुकेगा? अजमेर में एक और युवक की खुदकुशी, बैन के बाद भी जारी सिलसिला!

अजमेर हलचल : एक बार फिर ऑनलाइन गेमिंग की लत ने एक युवा की जान ले ली। केकड़ी इलाके के कृष्णा नगर निवासी सतीश (25) ने सोमवार सुबह छत पर फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस को मौके से मिले सुसाइड नोट में सतीश ने लिखा, "आई लव यू मम्मी पापा... एक गलती मुझ पर भारी पड़ गई, थोड़े से लालच में मैंने सब गंवा दिया।" नोट में सतीश ने परिवार से माफी मांगी और बताया कि ऑनलाइन गेम में 1 लाख रुपये हारने के बाद वह अवसाद में चला गया था। थानाधिकारी कुसुमलता मीणा ने बताया कि सतीश बीएड कर चुका था और कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहा था। उसके भाई सूरजकरण ने बताया कि सुबह 6:30 बजे पानी की टंकी भरने गए तो सतीश फंदे पर लटका मिला। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूरजकरण ने सतीश की गर्लफ्रेंड के भाई समेत दो लोगों पर ब्लैकमेल और धमकी का आरोप लगाया है।
यह घटना कोई इकलौती नहीं है। ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग की लत भारत में मौत का एक खतरनाक सिलसिला बन चुकी है, जो सरकार के हालिया बैन के बावजूद थमने का नाम नहीं ले रही। 21 अगस्त को संसद ने 'प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025' पास किया, जो रियल मनी गेम्स को पूरी तरह बैन करता है। इस कानून में ऑपरेटर्स को 3 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना, सेलिब्रिटी एंडोर्सर्स को 2 साल जेल और 50 लाख जुर्माना, और दोहराने पर 5 साल जेल तक की सजा का प्रावधान है। बिल का मकसद ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देना है, लेकिन रियल मनी गेम्स को 'राष्ट्रीय सुरक्षा और पब्लिक हेल्थ' के नाम पर रोकना। IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, "ऑनलाइन मनी गेमिंग ड्रग्स से बड़ा खतरा बन चुका है, कई युवा अपनी जमा-पूंजी गंवाकर खुदकुशी कर रहे हैं।"
लेकिन सवाल यह है- बैन लगा तो क्या? अजमेर की यह घटना बिल पास होने के महज 4 दिन बाद हुई। क्या ऐप्स अभी भी चल रहे हैं? क्या एनफोर्समेंट की कमी मौतों को आमंत्रित कर रही है? आंकड़े चीख-चीखकर बता रहे हैं कि समस्या कितनी गंभीर है:
कुल मौतें: 2020 से 2024 तक भारत में ऑनलाइन रमी और फैंटसी स्पोर्ट्स से जुड़ी 500 से ज्यादा खुदकुशियां दर्ज हुईं। हर मामला एक जैसा- छोटी हार, कर्ज लेकर रिकवर करने की कोशिश, बड़ा नुकसान, शर्म और आखिर में मौत।
राज्यों में आंकड़े: कर्नाटक में 2023 से अब तक 32 खुदकुशियां, ज्यादातर बेंगलुरु में। तमिलनाडु में 48 मौतें, जिनमें 13-14 साल के बच्चे शामिल। हैदराबाद में 27 और बेंगलुरु में 1 मौत बेटिंग ऐप्स से। तेलंगाना में पिछले साल एक महीने में 7 युवाओं की खुदकुशी।
अनुमानित प्रयास: कम से कम 15,000 युवाओं ने गंभीर नुकसान के बाद खुदकुशी की कोशिश की। मिडिल क्लास परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित, जहां एक हार सालों की बचत मिटा देती है।
हाल की घटनाएं: गुरुग्राम में एक शख्स ने 5 लाख हारकर खुदकुशी की। वडोदरा में 26 साल के युवक की मौत। हैदराबाद में बीटेक छात्र ने 3 लाख हारकर जान दी। एक शख्स ने 96 लाख गंवाए।
ये गेम्स सिर्फ मनोरंजन नहीं, लत का जाल हैं। 99% प्लेयर्स हारते हैं, लेकिन ऐप्स 'स्किल गेम' कहकर लुभाते हैं। सेलिब्रिटीज जैसे सपना11 का प्रचार करते हैं, लेकिन हकीकत मौत का नंगा नाच है। इंडस्ट्री का साइज 31,000 करोड़ रुपये है, लेकिन सोशल कॉस्ट- परिवार टूटना, डिप्रेशन, क्राइम- इससे कहीं ज्यादा। विजाग में एक किशोर ने मां को मार डाला क्योंकि गेमिंग रोक दी थी।
सरकार का बैन स्वागतयोग्य है, लेकिन देर से आया। अब सख्त एनफोर्समेंट चाहिए- ऐप्स ब्लॉक करें, एडवरटाइजमेंट बैन, अवेयरनेस कैंपेन। क्या मिडिल क्लास की बचत और युवाओं की जानें टैक्स के लिए कुर्बान होंगी? समय है जागने का, वरना मौतों का यह खेल जारी रहेगा। क्या आपका बच्चा अगला शिकार होगा?
