गहलोत-वसुंधरा के बाद भजनलाल की गाड़ी में उधार का तेल, चुकाना पड़ रहा 37 हजार करोड़ का ब्याज
राजस्थान की डबल इंजन सरकार कर्ज की पटरी पर दौड़ रही है। वित्त वर्ष में ही सरकार दिसंबर तक करीब 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है। सरकार पर कुल कर्ज का भार पांच लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को छूने वाला है। पिछले बजट में सरकार ने जो कर्ज के आंकड़े दिए थे, उनके अनुसार 31 मार्च 2024 तक ही राजस्थान पर कुल कर्ज लगभग 4 लाख 44 हजार करोड़ रुपए हो गया था। इसके बाद सरकार बोर्ड कॉरपोरेशन से लेकर अलग-अलग संस्थानों के माध्यम से बाजार से भारी कर्ज उठा चुकी है।
इतना ही नहीं इस सप्ताह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में वित्त विभाग ने बैंक ऑफ बड़ौदा तथा बैंक ऑफ महाराष्ट्र से एक एमओयू किया है। जिसके तहत बैंक ऑफ बड़ौदा अगले छह वर्षों यानी 31 मार्च 2030 तक, प्रति वर्ष 20 हजार करोड़ रूपये का ऋण प्रदान करेगा। वहीं बैंक ऑफ महाराष्ट्र भी प्रति वर्ष 10,000 करोड़ रूपये का ऋण उपलब्ध कराएगा। कुल 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने के लिए भजनलाल शर्मा सरकार सहमत हो गई है। सरकार ने बैंकों को बताया है कि यह धनराशि राजस्थान सरकार की विभिन्न परियोजनाओं, विशेषकर आधारभूत ढांचा क्षेत्र जैसे बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा, सड़क, पेयजल और स्वच्छता के लिए उपयोग में ली जाएगी।
बोर्ड-कॉरपोरेशन पर 1 लाख 12 हजार करोड़ का कर्ज
कर्ज को लेकर यह चिंता कोरी नहीं है। पूर्व में आरबीआई ने वित्त विभाग को पत्र लिखकर तय लिमिट से ज्यादा कर्ज नहीं लेने की चेतावनी दी थी, क्योंकि वित्त वर्ष 2022-23 और 23-24 की चारों तिमाहियों में राजस्थान को कर्ज की जो लिमिट दी गई थी, उसे नजरअंदाज करते हुए वित्त (मार्गोपाय) विभाग के अफसरों ने बाजार के कर्ज उठा लिया। चेतावनी के बाद स्थिति सुधरनी चाहिए थी, लेकिन कर्ज के आंकड़ें चीख-चीख कर कह रहे हैं कि यह और ज्यादा बिगड़े हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार अपने टैक्स और नॉन टैक्स से मिलने वाले राजस्व के अतिरिक्त बाजार से लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। सीएजी के ऑडिटेड आंकड़ों के अनुसार बोर्ड-कॉरपोरेशन पर मौजूदा समय में करीब 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इनमें से ज्यादातर बोर्ड-कॉरपोरेशन ऐसे हैं, जिनके पास कर्ज चुकाने के लिए आमदनी का कोई जरिया ही नहीं है।
जानिए इस रफ्तार से बढ़ रहा कर्ज का मर्ज
कर्ज को बोझ इतना बढ़ चुका है कि राजस्थान इस साल 37 हजार करोड़ रुपए तो सिर्फ कर्ज के ब्याज के रूप में ही अदा करेगा। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने जो बजटीय अनुमान जारी किए थे, उसमें कर्ज की ब्याज अदायगी के दौर पर 35 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था। साल खत्म होने से पहले-पहले यह राशि 2 हजार करोड़ रुपए और बढ़ गई है।
अब जानिए क्या होगा इसका असर?
निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज लेने पर ब्याज की दरों में बढ़ोतरी हो जाती है जो राज्य के लिए अल्पकालिक और दीर्धकालिक दोनों में ही बेहद नुकसान करने वाला है। तय सीमा से ज्यादा कर्ज और समय से पहले लेने का दूसरा असर ब्याज दर वृद्धि के साथ-साथ ब्याज दरों की अवधि में भी इजाफा कर देती है। उदाहरण के लिए मानते हैं कि अगर, राजस्थान की दिसंबर तक 46 हजार करोड़ का कर्ज लेने की लिमिट थी, लेकिन इस लिमिट को पार कर 50 हजार करोड़ कर्ज ले लिया गया। इसका एक दुष्प्रभाव यह भी होगा कि आने वाली सरकार को यह राशि खर्च करने के लिए नहीं मिल पाएगी और ब्याज चुकाना पड़ेगा सो अलग।