जीएसटी स्लैब घटा – छत सस्ती, लेकिन रेत माफिया ने तोड़ी कमर

भीलवाड़ा। नवरात्र के पहले रियल एस्टेट सेक्टर में खुशखबरी आई है। हाल ही में केंद्र सरकार ने निर्माण सामग्री पर जीएसटी स्लैब घटाने का फैसला किया है। इससे मकान बनाने वाले गृहस्वामियों और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स दोनों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। खासकर वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में जहां मध्यम वर्गीय परिवार खुद की छत बनाने का सपना लेकर बैठा है, उन्हें अब निर्माण लागत में सीधी बचत होगी।
### जीएसटी स्लैब में बड़ा बदलाव
निर्माण सामग्री की नई दरें इस प्रकार हैं –
* **सीमेंट:** 25% से घटाकर 18%
* **मार्बल ब्लॉक:** 12% से घटाकर 5%
* **रेत व चूने की ईंट:** 12% से घटाकर 5%
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि मकान निर्माण पर औसतन 30 से 50 लाख रुपये तक खर्च आता है। नए बदलाव से हर गृहस्वामी को लगभग **डेढ़ लाख से ढाई लाख रुपये तक की बचत** होगी। इतना ही नहीं, मॉड्यूलर किचन, वॉर्डरोब और लाइटिंग जैसी फिनिशिंग सामग्री पर भी अब कम जीएसटी लगेगा, जिससे घर सजाना भी किफायती हो जाएगा।
### रियल एस्टेट में बूम की संभावना
विशेषज्ञ मानते हैं कि जीएसटी कटौती से मिड-सेगमेंट और अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा। बिल्डरों का कहना है कि लागत घटने से बुकिंग बढ़ेगी और खरीदारों का भरोसा लौटेगा।
**स्थानीय बिल्डर (नाम न छापने की शर्त पर) कहते हैं:**
*"पिछले दो साल से बाजार में ठहराव था। अब लागत में 3 से 5 प्रतिशत की कटौती सीधे खरीदार तक जाएगी। इससे लोग नई बुकिंग करेंगे और अधूरे प्रोजेक्ट भी पटरी पर लौट सकते हैं।"*
### गृहस्वामी को सीधा फायदा
स्व-निर्माण करने वाले गृहस्वामी के लिए यह बदलाव किसी राहत से कम नहीं है। जो लोग सीधे बाजार से सीमेंट, मार्बल और ईंट-रेत खरीदकर घर बना रहे हैं, उन्हें सीधी बचत होगी।
**गृहस्वामी मुकेश शर्मा (उपनगर) कहते हैं:**
*"मैंने 40 लाख रुपये का बजट रखा था। सिर्फ सीमेंट और मार्बल पर ही अब करीब 1.5 लाख रुपये की बचत होगी। लेकिन रेत की कीमत ने हालत खराब कर दी है। सरकार एक तरफ राहत देती है, दूसरी तरफ रेत माफिया सब बिगाड़ रहे हैं।"*
### रेत माफियाओं की दोहरी लूट
लेकिन तस्वीर का दूसरा चेहरा उतना ही डरावना है। निर्माण कार्य में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली सामग्री रेत है और उस पर रोक लगने के बाद माफिया सक्रिय हो गए हैं।
* 12–15 हजार रुपये का डंपर अब **24–28 हजार रुपये** में मिल रहा है।
* ट्रैक्टर-ट्रॉली की कीमत **4 हजार रुपये** तक पहुंच गई है।
* ऊपर से इसमें भी 100 फिट रेत पूरी नहीं मिल रही।
गृहस्वामियों का आरोप है कि उन्हें दोनों तरफ से लूटा जा रहा है। जीएसटी में राहत मिलती है तो रेत माफिया उसी बचत को निगल जाते हैं।
**एक अन्य गृहस्वामी की टिप्पणी:**
*"रेत के लिए डंपर मालिक से लेकर दलाल तक जेब काट रहे हैं। मजबूरी में महंगी रेत खरीदनी पड़ रही है। जब तक प्रशासन सख्त नहीं होगा, तब तक आम आदमी का सपना अधूरा ही रहेगा।"*
### विशेषज्ञों की चेतावनी
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी में राहत एक बड़ा कदम है, लेकिन जमीनी स्तर पर रेत और अन्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना इसका पूरा असर नहीं दिखेगा।
**रियल एस्टेट विश्लेषक नितिन अग्रवाल का कहना है:**
*"सरकार ने करों में राहत देकर बाजार को गति देने की कोशिश की है। लेकिन अगर रेत जैसी बुनियादी सामग्री ही माफिया के कब्जे में रहेगी, तो लोगों को छत सस्ती नहीं, बल्कि और महंगी पड़ेगी।"*
### नवरात्र से उम्मीदें
त्योहारी सीजन में लोग घर खरीदने और निर्माण शुरू करने को शुभ मानते हैं। इस बार जीएसटी में मिली राहत के कारण रियल एस्टेट सेक्टर में बूम की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन निर्माण कार्य में रेत की किल्लत और महंगाई का भूत अगर सिर पर सवार रहा तो यह राहत अधूरी रह जाएगी।
एक तरफ सरकार जीएसटी स्लैब घटाकर आम जनता को राहत देने का दावा कर रही है, दूसरी तरफ रेत माफियाओं ने लोगों की कमर तोड़ दी है। गृहस्वामी सवाल कर रहे हैं – “अगर रेत ही समय पर और सही दाम पर नहीं मिलेगी तो जीएसटी में मिली राहत का फायदा किसे मिलेगा?”
**यानी फिलहाल स्थिति यही है – छत सस्ती जरूर हुई, लेकिन नींव रखने की कीमत अब भी जेब जलाती है।**
