Uit भूखंड लाटरी का विवाद भीलवाड़ा में छाया रहा , मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा

भीलवाड़ा हलचल। वर्ष भर जिन मामलों ने शहर की राजनीति और प्रशासन को सबसे अधिक कटघरे में खड़ा किया, उनमें यूआईटी भूखंड आवंटन लॉटरी से जुड़ा मामला सबसे ऊपर रहा। यह लॉटरी आम लोगों को सस्ते दर पर भूखंड देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, लेकिन परिणाम सामने आते ही पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई।6⁶
लॉटरी सूची जारी होते ही आरोप लगे कि नियमों की अनदेखी की गई है। पात्रता शर्तें पूरी नहीं करने वाले कई नाम सूची में शामिल पाए गए, जबकि वर्षों से आवेदन कर रहे वास्तविक जरूरतमंद आवेदक बाहर रह गए। इसके बाद शिकायतों का सिलसिला शुरू हुआ और यूआईटी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले।
मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब आरोप लगे कि प्रभावशाली लोगों और राजनीतिक रसूख रखने वालों को लाभ पहुंचाया गया। कुछ प्रकरणों में एक ही परिवार के कई सदस्यों को भूखंड मिलने की बात सामने आई, जिससे लॉटरी की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे खुला घोटाला बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की।
विवाद बढ़ने पर प्रशासन को सफाई देनी पड़ी और कुछ मामलों में जांच के आदेश भी जारी किए गए, लेकिन जांच की रफ्तार धीमी रहने से लोगों का भरोसा पूरी तरह बहाल नहीं हो सका। इसी बीच इस पूरे मामले को लेकर अधिवक्ता हेमेंद्र शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जो फिलहाल विचाराधीन है। याचिका में लॉटरी प्रक्रिया की वैधता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
विवाद के चलते लॉटरी प्रभारी रवि श्रीवास्तव को भी पद से हटा दिया गया, लेकिन इसके बावजूद लोगों का आक्रोश कम नहीं हुआ। शहर में लगातार यह आवाज उठ रही है कि पूरी लॉटरी प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से पारदर्शी तरीके से भूखंड आवंटन किया जाए।
साल के अंत तक यूआईटी भूखंड आवंटन लॉटरी का यह मामला लगातार सुर्खियों में बना रहा। यह विवाद न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल छोड़ गया, बल्कि भविष्य में ऐसी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग को भी और मजबूत कर गया।
