सांसद अग्रवाल का स्वागत

बिजौलिया, : नवरात्रि की चहल-पहल के बीच बिजौलिया में शुक्रवार को एक अलग ही माहौल देखने को मिला, जब किराना व्यापार संघ ने भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल का किशननिवास चौराहे पर जोरदार स्वागत किया। सांसद कोटा जाते समय रुके थे, लेकिन यह स्वागत सिर्फ फूल-मालाओं तक सीमित नहीं रहा। व्यापारियों ने एक तीखा संदेश भी दिया – जीएसटी सुधारों का धन्यवाद तो है, पर बिजौलिया की आर्थिक बदहाली और औद्योगिक पिछड़ेपन का क्या? यह मुलाकात कहीं न कहीं केंद्र और स्थानीय नेतृत्व की जवाबदेही पर सवाल उठाती है।

सांसद का स्वागत, पीएम को धन्यवाद, लेकिन...

किराना व्यापार संघ के अध्यक्ष पंकज जैन के नेतृत्व में व्यापारियों ने सांसद अग्रवाल का अभिनंदन किया। माला पहनाकर, आभार पत्र सौंपकर और ताली-थाली के साथ स्वागत का माहौल गर्म था। व्यापारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीएसटी सुधारों के लिए धन्यवाद दिया, खासकर उन रियायतों के लिए जो हाल ही में किराना वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कमी के रूप में सामने आईं। सांसद अग्रवाल ने भी मौके का फायदा उठाया और कहा, "जीएसटी दरों में कमी से रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी। पीएम मोदी का 'स्वदेशी अपनाओ' का नारा न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है, बल्कि स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रेरित करता है।" लेकिन सवाल यह है – क्या यह 'राहत' बिजौलिया के छोटे व्यापारियों की जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव लाएगी, या यह बस एक और 'जुमला' साबित होगा?

जीएसटी सुधार: राहत या दिखावा?

जीएसटी सुधारों की बात करें तो केंद्र सरकार ने हाल ही में कई आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरें 12% से घटाकर 5% या शून्य कर दी हैं। मसलन, आटा, दाल, तेल और साबुन जैसी रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम हुआ है। पंकज जैन ने इसे "छोटा लेकिन सकारात्मक कदम" बताया, लेकिन तीखे अंदाज में कहा, "जीएसटी की मार से छोटे व्यापारी पहले ही पिस चुके हैं। अब रियायतें तो दी गईं, लेकिन टैक्स स्लैब की जटिलता और बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने वाली नीतियां अब भी परेशान कर रही हैं।" व्यापारियों का गुस्सा साफ झलक रहा था – क्या सरकार की नीतियां वाकई 'आम आदमी' के लिए हैं, या बड़े कारोबारियों के लिए रास्ता साफ कर रही हैं? बिजौलिया जैसे छोटे कस्बों में जहां किराना दुकानें स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, वहां जीएसटी की जटिल प्रक्रियाएं और ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग अभी भी सिरदर्द बनी हुई हैं। एक व्यापारी ने तो खुलकर कहा, "साहब, जीएसटी कम कर दी, लेकिन बिजली बिल और ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ रही है। राहत कहां है?"

बिजौलिया का आर्थिक संकट: औद्योगिक इकाइयों की मांग

स्वागत के बीच व्यापारियों ने सांसद अग्रवाल के सामने बिजौलिया के आर्थिक विकास का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। पंकज जैन ने बिना लाग-लपेट कहा, "बिजौलिया में नई औद्योगिक इकाइयां चाहिए। युवा बेरोजगार घूम रहे हैं, छोटे व्यापारियों का धंधा मंदा है। क्या सांसद महोदय इस दिशा में कुछ करेंगे?" बिजौलिया, जो कभी कपड़ा उद्योग और खेती के लिए जाना जाता था, आज आर्थिक मंदी की चपेट में है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि बड़ी कंपनियां और ई-कॉमर्स दिग्गजों ने छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। एक व्यापारी ने तंज कसते हुए कहा, "स्वदेशी का नारा तो ठीक है, लेकिन जब स्थानीय धंधे ही खत्म हो जाएंगे, तो स्वदेशी बचेगा क्या?" व्यापारियों ने सांसद से मांग की कि बिजौलिया में टेक्सटाइल या छोटे पैमाने की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएं, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले और व्यापारियों को स्थानीय उत्पाद बेचने का मौका मिले।

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