Save Aravali अभियान से जुड़े अशोक गहलोत, X पर बदली DP

Save Aravali अभियान से जुड़े अशोक गहलोत, X पर बदली DP
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जयपुर: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अरावली बचाने के अभियान से जुड़ गए हैं। अरावली को बचाने के लिए वे पहले भी अपनी बात जनता के सामने रख चुके हैं। अब सेव अरावली अभियान से जुड़ते हुए उन्होंने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट की डिसप्ले पिक्चर यानी डीपी बदल दी है। अब उन्होंने अरावली की सुंदर तस्वीर लगाई है जिसमें वह हरी भरी दिखाई दे रही है। डीपी बदलने के साथ ही गहलोत ने कहा कि राजस्थान के अरावली पर्वतमाला बहुत महत्वपूर्ण है। इसके महत्व को फीते से नहीं मापा जा सकता।

'वोट चोरी से आजादी' वाली डीपी हटाई

करीब पांच महीने पहले जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वोट चोरी के मामला का खुलासा किया था। उसके बाद देशभर में कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने वोट चोरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। अगस्त 2025 में गहलोत सहित सभी नेताओं ने अपनी सोशल मीडिया डीपी को बदलते हुए 'वोट चोरी से आजादी' और 'स्टॉप वोट चोरी' की डीपी लगाई थी। अब गहलोत ने डीपी बदली तो इसके कुछ देर बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली ने भी अपनी डीपी बदल दी। 'वोट चोरी से आजादी' के स्थान पर जुली ने भी 'सेव अरावली' की डीपी लगाई है।

उत्तर भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ - अशोक गहलोत

सोशल मीडिया पर अपनी डीपी बदलते हुए गहलोत ने जनता से भी अपील की है कि वे सेव अरावली अभियान से जुड़े। उन्होंने कहा कि आज वे अपनी प्रोफाइल पिक्चर (DP) बदलकर Save Aravali अभियान का हिस्सा बन रहे हैं। यह सिर्फ एक फोटो नहीं बल्कि एक विरोध है उस नई परिभाषा के खिलाफ जिसके तहत 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को 'अरावली' मानने से इंकार किया जा रहा है। गहलोत ने कहा कि अरावली संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने जो बदलाव किए हैं, वे उत्तर भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि भावी पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए अरावली की परिभाषा पर पुनर्विचार करें। अरावली को 'फीते' या 'ऊंचाई' से नहीं, बल्कि इसके 'पर्यावरणीय योगदान' के आधार पर आंका जाना चाहिए।

हमारे अस्तित्व के लिए खतरा

गहलोत ने कहा कि अरावली के संरक्षण को लेकर आए इन बदलावों ने उत्तर भारत के भविष्य पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यह निर्णय हमारे अस्तित्व के लिए खतरनाक है क्योंकि : -

1. मरुस्थल एवं लू के खिलाफ दीवार :- अरावली कोई मामूली पहाड़ नहीं, बल्कि कुदरत की बनाई 'ग्रीन वॉल' (Green Wall) है। यह थार रेगिस्तान की रेत और गर्म हवाओं (लू) को दिल्ली, हरियाणा और यूपी के उपजाऊ मैदानों की ओर बढ़ने से रोकती है। अगर छोटी पहाड़ियाँ (Gaping Areas) खनन के लिए खुल गईं, तो रेगिस्तान हमारे दरवाजे तक आ जाएगा और गर्म हवाएं तापमान को बढ़ा देंगी।

2. प्रदूषण से रक्षा :- ये पहाड़ियां और यहां के जंगल NCR और आसपास के शहरों के 'फेफड़ों' (Lungs) की तरह काम करते हैं। ये धूल भरी आंधियों (Dust Storms) को रोकते हैं और जानलेवा प्रदूषण को कम करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। दिल्ली और आसपास के इलाके में अरावली के बावजूद इतनी गंभीर स्थिति है तो अरावली के बिना कैसी स्थिति होगी, उसकी कल्पना करना भी वीभत्स है।

3. भूजल (Groundwater) रिचार्ज :- अरावली हमारे लिए पानी का मुख्य रिचार्ज जोन है। अरावली की चट्टानें बारिश के पानी को जमीन के भीतर भेजकर भूजल रिचार्ज करती हैं। अगर पहाड़ खत्म हुए, तो भविष्य में पीने के पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा, जिससे वन्य जीव विलुप्त होने की कगार पर आ जाएंगे तथा इकोलॉजी को खतरा होगा।

4. टूट जाएगी हमारी सुरक्षा - वैज्ञानिक सच यह है कि अरावली एक निरंतर श्रृंखला (Continuous Chain) है। इसकी छोटी पहाड़ियाँ भी उतनी ही अहम हैं जितनी बड़ी चोटियाँ। अगर दीवार में एक भी ईंट कम हुई, तो सुरक्षा टूट जाएगी।

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