वक्फ बिल पर गहलोत की चुप्पी सियासी हलकों में बनी चर्चा

केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश भर में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विपक्षी दल इस बिल को लेकर मुखर हो गए हैं। लेकिन राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने अब तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनकी चुप्पी को लेकर सियासी हलकों में चर्चा जोरों पर है।
राजस्थान में वक्फ संपत्तियों को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं, खासकर कांग्रेस सरकार के दौरान कई बार वक्फ बोर्ड से जुड़े फैसलों को लेकर बहस छिड़ चुकी है। अब जब केंद्र सरकार इस संशोधन बिल को लेकर आगे बढ़ रही है तो कांग्रेस के कई नेता इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। मगर अशोक गहलोत की चुप्पी ने राजनीतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
कई राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गहलोत फिलहाल कोई ऐसा बयान नहीं देना चाहते, जिससे उनके समर्थकों के बीच भ्रम की स्थिति बने। वहीं, पार्टी के अंदर भी उनकी चुप्पी को लेकर अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। कुछ नेता मानते हैं कि गहलोत इस मुद्दे पर सोच-समझकर प्रतिक्रिया देंगे, जबकि कुछ इसे उनकी रणनीतिक चुप्पी बता रहे हैं।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर अभी तक कई मतभेद सामने आ चुके हैं। इस बिल के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके स्वामित्व को लेकर नए प्रावधान जोड़े गए हैं, जिन्हें लेकर कुछ समुदायों में असंतोष देखने को मिल रहा है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल को ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ करार दे रहे हैं।
अब सवाल यह है कि क्या अशोक गहलोत आने वाले दिनों में इस पर कोई प्रतिक्रिया देंगे या उनकी चुप्पी यूं ही बरकरार रहेगी? इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।