सीएम सिटी में खुली सरकार की संवेदनहीनता की पोल : CET की परीक्षा देने जा रहे अभ्यर्थियों पर रोडवेज कर्मियों का लाठी डंंडों से हमला
भरतपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नगरी में क्या हो रहा है, यह हर कोई देख सकता है, सिवाय खुद मुख्यमंत्री के। सीएम सिटी के भरतपुर रोडवेज बस स्टैंड पर एक ऐसी शर्मनाक और हिंसक घटना हुई है, जिसने राज्य सरकार की संवेदनहीनता की पोल खोल दी है। CET परीक्षा देने जा रहे कई छात्रों पर रोडवेज कर्मचारियों ने लाठी-डंडों से हमला किया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इस कड़वे सच को उजागर कर रहे हैं, जिसमें सरकारी कर्मचारी उन छात्रों को पीटते नजर आ रहे हैं, जो अपने सपनों को संजोए परीक्षा देने जा रहे थे। धौलपुर जिले के बसई नवाब से आए मोहन सिंह ने बताया कि वे अलवर परीक्षा देने जा रहे थे, लेकिन भरतपुर पहुंचते ही सब बदल गया। छात्रों को बस से जबरन उतार दिया गया और फिर एक अन्य बस में सवार हुए अभ्यर्थियों पर रोडवेज स्टाफ ने हीरादास चौराहे पर आकर हमला कर दिया। छात्रों के आरोपों के अनुसार, बस ड्राइवर और कंडक्टर शराब के नशे में थे, और हिंसक हमला करने वाले एक कर्मचारी का नाम मानवेंद्र सिंह बताया गया है।
सोचने वाली बात यह है कि जो छात्र जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं, उनके साथ इस तरह का क्रूर व्यवहार क्या दर्शाता है? क्या यह प्रदेश सरकार की लापरवाही और प्रशासन की पूरी असंवेदनशीलता का प्रतीक नहीं है? जब रोडवेज कर्मचारी ही कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं, तो आम जनता किस पर भरोसा करेगी?
इस घटना के बाद अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्र पर समय पर पहुंचने की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं। कुछ छात्रों की परीक्षा अब संभवतः छूट जाएगी। और सीएम सिटी में यह सब कुछ हो रहा है, जबकि सरकार अपने दायित्वों से आंखें मूंदे बैठी है। न कोई प्रशासनिक कार्रवाई, न कोई जांच — क्या यही है जनता के भविष्य के प्रति सरकार का रवैया?
इस घटना से यह स्पष्ट है कि रोडवेज प्रशासन और सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह बेखबर हैं। यह घटना केवल एक उदाहरण नहीं है, बल्कि यह उस गहरी सड़ांध को दर्शाती है जो पूरे सिस्टम में व्याप्त है। आखिर कब तक सरकार की यह लापरवाही आम जनता और खासकर छात्रों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करती रहेगी?
इस घटना ने जनता के गुस्से को हवा दी है, और अब सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री अपनी नगरी में हो रही इन घटनाओं पर ध्यान देंगे, या फिर जनता के सब्र का बांध टूटने का इंतजार करेंगे?