धर्म की गणना असंख्य किन्तु मानवता सर्वश्रेष्ट धर्म– स्वामी सुदर्शनाचार्य

निंबाहेड़ा। व्यंकटेश बालाजी दिव्य धाम अलवर के स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा कि महर्षि नारद ने सनकादिक ऋषियों से धर्म का स्वरूप बताने का जब आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि धर्म अनेक प्रकार हैं, लेकिन उनमें मानव धर्म सर्वश्रेष्ट माना गया हैं। उन्होंने बताया कि स्वयं धर्मराज भी धर्म के प्रकारों की गणना करने में स्वयं को असक्षम मानते हैं, क्योंकि धर्म अनंत हैं। नारद जी ने कहा कि प्राणी मात्र के हित में किया गया कार्य ही धर्म माना गया हैं।

स्वामी सुदर्शनाचार्य बुधवार को 19 वें कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में सिद्धाश्रम तीर्थ के नेमीशारण्य कथा मंडप में आयोजित श्रीमद नारदीय महापुराण की कथा का व्यासपीठ से रसामृतपान करा रहे थे। उन्होंने धर्म के 10 प्रमुख लक्षण बताते हुए कहा कि अहिंसा, सत्यवादन, शोधन करना, शांति, संतोष, तितिक्षा, आरजव, आरसूर्या रहित, परोपकार, इन्द्रिय निग्रह, संतोष और दया को धर्म के प्रमुख प्रकार माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि धर्म के चार चरण हैं तथा इसे वृषभ रूप में अनुभूति की गई हैं। तुलसीदास जी ने भी धर्म के चार चरणों में सत्य, सोच, दया, दान को महत्व देते हुए कहा कि कलयुग केवल धर्म के दानरूपि चरण पर टिका हुआ हैं। नारद जी ने ज्येष्ट भ्राता सनत जी से पूज्य धर्म के बारे में पूछने पर सिद्धाश्रम तीर्थ में सनक, सनातन, सनंदन व सनतकुमार चारों भ्राता अनवरत चौबिसों घंटे प्रवचन में लीन रहते हुए बताया कि प्राणी मात्र की रक्षा करना ही सबसे बड़ा धर्म हैं और धर्म के लिए नदी, वृक्ष तथा गाय से प्रेरणा लेकर अपना सर्वस्व दूसरे को सुखी करने के लिए दान करना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मन के हारे हार हैं मन के जीते जीत, इसलिए जीवन में कभी निराशा नहीं होनी चाहिए तथा मानवता के व द्वितीय लक्षण के रूप में दीनहीन अनाथ व अशक्त प्राणियों की सेवा सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता-पिता से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं हैं, जिन्होंने माता-पिता की सेवा करके उनको प्रसन्न कर लिया, तो सारे तीर्थ उनके दर्शन के लिए स्वयं आ जाते हैं। उन्होंने हमेशा सनातन धर्म की रक्षा के लिए दृढ संकल्पित होकर प्रयत्न करने का आह्वान किया। कथा के दौरान पंडित प्रहलादकृष्ण व गौनंदन विकास नागदा ने तुम्हारी याद आती हैं, बता दो क्या करें मोहन सहित अन्य भजनों के माध्यम से पांडाल को भजनानंदी स्वर लहरियों से परिपूरित कर दिया। कथा के प्रारंभ में स्वामी जी ने मंदिर परिसर में ठाकुर श्री के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हुए कहा कि महाकुंभ के पंचम दिवस कल्याण नगरी के राजाधिराज को जगत का नाथ बताते हुए कहा कि कल्याण महाकुंभ यह दिवस हमें किसी भी रूप में अनाथ होने से बचाने वाला प्रतीत हो रहा हैं। जहां ठाकुरश्री को प्रभु जगन्नाथ को अर्पित किए जाने वाला अनूठा छप्पनभोग न्यौछावर किया गया हैं।

श्वेत व गुलाबी पुष्पों की झांकी के बीच मनोहारी स्वरूप में दिए ठाकुरजी ने दर्शन

कल्याण महाकुंभ के दौरान कल्याण नगरी के राजाधिराज ठाकुर श्री कल्लाजी का बुधवार को श्वेत एवं गुलाबी मोगरा, गुलाब सहित अन्य पुष्पों की मनोहारी झांकी के बीच उसी अनुरूप किया गया श्रंगार भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा। अनेक भक्त छप्पनभोग के साथ ठाकुरजी को देखकर ऐसी अनुभूति करने लगे मानों नाथों के नाथ जगन्नाथ कल्याण नगरी को धन्य करने के लिए यहां पधार गए हैं। इस मौके पर ठाकुरजी को जगन्नाथपूरी से आए पाक शास्त्रियों द्वारा तैयार किए गए भगवान जगन्नाथ को भोग में लगाए जाने वाले नानाविध प्रकार के मिष्ठान के साथ ही दाल, चावल, अचार, चटपटे व्यंजनों के अलावा कई प्रकार के मौसमी फलों की छप्पनभोग झांकी भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। ये छप्पनभोग कल्याणलोक की भोजनशाला में भगवान जगन्नाथ की परंपरानुरूप मिट्‌टी के पात्रों में लकड़ियां जलाकर तैयार किया गया तथा वहां से बैंड बाजों के साथ बैलगाड़ियों में सिद्धाश्रम तीर्थ लाकर ठाकुरजी को अर्पित किया गया।

नारदीय यज्ञशाला के विष्णु महायज्ञ में 300 यजमान जोड़ों ने दी आहूतियां

कल्याण महाकुंभ के पंचम दिवस बुधवार को सिद्धाश्रम तीर्थ स्थित नारदीय यज्ञशाला में 51 कुण्डीय विष्णु महायज्ञ के द्वितीय दिवस लगभग 300 यजमानों द्वारा गौघृत्य एवं शाकल्य की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापित देवताओं की पूजा करते हुए द्वादश अक्षर मंत्र ओम नम: भागवते वासुदेवाय का जाप करते हुए आहूतियां देकर सर्वस्त्र खुशहाली एवं अच्छी वर्षा की कामना की। यज्ञ मंडप में प्रवेश से पूर्व पुरूष यजमानों द्वारा विधि विधान के साथ हेमान्द्री स्नान कर जनेऊ धारण करने के बाद सपत्निक एवं परिजनों के साथ यज्ञशाला में प्रविष्ट हुए। गुरूवार को विष्णु महायज्ञ में लगभग 350 यजमान युगल अपनी भागीदारी निभाएंगे। जिनमें अधिकांश कल्लाजी को अपना आराध्य मानने वाले रायका व रेबारी समाज की भागीदारी होगी।

एक शाम श्री कल्लाजी और बाबा श्याम के नाम भजनों की मची धूम

कल्याण महाकुंभ के चतुर्थ दिवस नैमीशारण्य कथा मंडप में रात्रि को एक शाम श्री कल्लाजी और बाबा श्याम के नाम भजनों की धूम ऐसी मची कि श्रोता मध्यरात्रि तक भजन गायकों की प्रस्तुति पर तालियों से संगत करते नजर आए। इस अवसर पर आवे चित्तौड़ की धरती से कल्लाजी राठौड़ की प्रस्तुति से ऐसा लगा मानों रणबंका राठौड़ विनती सुनकर यहां आ गए हो। कल्याण नगरी के अखिलेश ठाकुर ने आवे चित्तौड़ की धरती से कल्लाजी राठौड़, दीनानाथ म्हारी बात के साथ भजन संध्या का संचालन किया। भीलवाड़ा के युगल जोड़ी अभि अनुज पारीक ने गणेश वंदना के साथ भजन संध्या का शुभारंभ करते हुए दुनिया में देव हजारों हैं बालाजी का क्या कहना, कीर्तन की रात की मन भावन प्रस्तुति दी। वहीं उदयपुर की अंजली चिराग आचार्य ने म्हारा कुंवर कल्ला राठौड़ थे रन में रंग जमायो, भारत का बच्चा जय श्री राम बोलेगा भजन की प्रस्तुति देकर वातावरण को कल्लामय बनाने का सार्थक प्रयास किया। बस्सी के संदीप टेलर ने आसरो कल्लाजी म्हाने थारो एवं कल्याण नगरी के दीपक वर्मा ने सुनले कन्हैया अर्जी हमारी भजन प्रस्तुत किए। प्रारंभ में वेदपीठ की ओर से भजन गायकों का तुलसी माला एवं उपरणा के साथ स्वागत अभिनन्दन किया। गुरूवार को पंडित रोहित भूषण मिश्रा एवं साथियों द्वारा मन भावन भजनों की प्रस्तुति इसी मंच से दी जाएगी।

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