मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई...

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई...
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चित्तौड़गढ़ ईनाणी सिटी सेंटर में श्रावणमासीय कथा एवं चातुर्मास महोत्सव समिति के तत्वाधान में पाली, तखतगढ़ धाम निवासी संत अभय दास महाराज द्वारा नानी बाई को मायरो तथा श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम के पश्चात आज से मीरा चरित्र कथा प्रारंभ की गई।

मीडिया प्रभारी सुधीर जैन ने बताया कि मीरा चरित्र कथा में विशेष रूप से युवाचार्या अभयदास महाराज ने इस कथा में यजमान चित्तौड़गढ़ के समस्त सनातनी बंधुगण तथा माताओं बहनों को बनाया है। अभयदास महाराज ने मीराबाई का संक्षिप्त परिचय दिया और बताया कि उनका जन्म सन् 1498 ई॰ में पाली के कुड़की गाँव में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। मीरा का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ।

चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे। महाराज ने मीरा बाई के वैभव का वर्णन करते हुए बताया कि विवाह में उनके साथ कई सेवक , दासियाँ , कहार तथा सुरक्षाकर्मियों को साथ भेजकर उनके रहने के लिए 80 गाँवों की जागीरी भी दीं। इतने वैभवशाली परिवार में जन्म लेने के बाद भी मीराबाई कृष्ण की भक्ति में इतनी लीन रहने लगी कि उन्हें किसी वैभव, धन , दौलत, ऐश्वर्य आदि से कोई लगाव नहीं रहा । मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई भजन की पंक्ति के माध्यम से मीराबाई की भक्ति का प्रभाव दिखाई देता है।

समिति के सदस्य भागचंद मूंदड़ा , लोकेश त्रिपाठी , प्रधान देवेंद्र कंवर , सिंपल वैष्णव , इंदिरा सुखवाल , रमा शर्मा , अलका चतुर्वेदी , जया कंवर, श्रद्धा खंडेलवाल , भगवती आचार्य , मीनू कंवर , कल्पना पुरोहित आदि ने भक्तिमय , रसमय कथा श्रवण का आनंद लाभ लिया ।

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