नौं ओषधियों के पेड़ पौधें, जिन्हे नवदुर्गा कहा गया

निंबाहेड़ा | श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. ललित शर्मा ने बताया कि इन नौ औषधियों में भी विराजते हैं, मां अम्बे के यह नौ रूप जो समस्त रोगों से बचाकर जगत का कल्याण करते हैं। चिकित्सा प्रणाली के रहस्य को ब्रह्मजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया हैं, तो जानिए दिव्य गुणों वाली नौं औपधियों को जिन्हे नवदुर्गा कहा गया हैं।

प्रथम शैलपुत्री हरड़ कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती हैं, जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि हैं। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती हैं।

ब्रह्मचारिणी ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती हैं। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता हैं।

चंद्रघंटा चंदुसूर यह एक ऐसा पौधा हैं, जो धनिए के समान हैं। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद हैं। इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।

कूष्मांडा पेठा इस औषधि से पेठा मिठाई बनती हैं। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं, जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक हैं। मानसिक रोगों में यह अमृत समान हैं। आज कल सैक्रीन से बनने वाला पेठा नहीं खाए घर में ही बनाएं।

स्कंदमाता अलसी देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि हैं। इसमे फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे सभी को भोजन के पश्चात काले नमक से भूंजकर प्रतिदिन सुबह शाम लेना चाहिए। यह खून भी साफ करता हैं।

कात्यायनी मोइया देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता हैं। जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका, इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ पित्त व गले के रोगों का नाश करती हैं।

कालरात्रि नागदौन यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि हैं। यह पाइल्स के लिए भी रामबाण औषधि हैं। इसे स्थानीय भाषा जबलपुर में दूधी कहा जाता हैं।

महागौरी तुलसी सात प्रकार की होती हैं। सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुठेरक, अर्जक और षटपत्र ये रक्त को साफ कर हृदय रोगों का नाश करती हैं। एकादशी को छोडकर प्रतिदिन इन्हें सुबह ग्रहण करना चाहिए।

सिद्धिदात्री शतावरी दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री हैं। जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी हैं। विशेषकर प्रसूताओं जिन माताओं को ऑपरेशन के पश्चात अथवा कम दूध आता हैं, उनके लिए यह रामबाण औषधि हैं को इसका सेवन करना चाहिए।

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