माधव रा मंदिर में मीरा एकली खड़ी’ रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ मीरा महोत्सव का समापन

माधव रा मंदिर में मीरा एकली खड़ी’ रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ मीरा महोत्सव का समापन
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चित्तौड़गढ़ दो दिवसीय मीरा महोत्सव का शुक्रवार रात रंगारंग नयनाभिराम कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के साथ समापन हुआ। इस दरमियान कलाकारों के लाजवाब प्रदर्शन में दर्शक ऐसे भाव-विभोर हो गए कि कभी तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका उत्साहवर्धन करते तो कभी भजनों पर संगत कर न केवल शरीर से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी कार्यक्रम का हिस्सा बनते नजर आए।

यहां इंदिरा गांधी ऑडिटोरियम में मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज की नृत्य नाटिका से कार्यक्रम का आगाज हुआ। इसके बाद सत्रीय नृत्य में असम की कलाकार रंगरूपा बोरा ने नौ रसों को अलग-अलग भाव मुद्राएं बनाते हुए प्रस्तुति दी। हालांकि उनके गीत की भाषा अलग थी, लेकिन दर्शक भाव समझ अभिभूत हुए बिना नहीं रह पाए। इसके बाद प्रवीण परिहार ने रासलीला पेश की। उनके साथी कलाकार के साथ घुंघरू और तबले की जुगलबंदी को दर्शकों ने काफी सराहा। उन्होंने राज परिवारों में तलवार रखने की भाव मुद्राओं को भी अभिनय के जरिए बखूबी प्रस्तुत किया। ‘बाजे मुरलिया’ समेत अन्य भजनों पर स्फूर्ति के साथ सुंदर नृत्य कर जमकर तालियां बंटोरी। ग्रैमी अवार्डी विधि शर्मा ने कहा वह मीरा की तरह राग में नहीं अनुराग में अपनी प्रस्तुति देती है। उन्होंने ‘पायो जी मैं तो रामरतन धन पायो’ गीत पर श्रोताओं का भी बखूबी साथ लिया और तालियां भी बजवाई। विधि न ‘सुनी मैं हरि आवण की आवाज’,‘चलो मन गंगा जमुना तीर’, ‘आओ मनमोहनजी’ आदि भजन सुनाए।

मेवाड़ युनिवर्सिटी की नृत्य नाटिका ‘भक्तिमती मीरा’ में कलाकारों का गरबा-डांडिया रास दर्शकों ने खूब सराहा। उड़ान डांस एकेडमी ने गरबा-डांडिया रास की प्रस्तुति राधा काबरा के नेतृत्व में दी। इसमें स्थानीय कलाकारों ने ‘माधव रा मंदिर में मीरा एकली खड़ी’ समेत कई गीतों पर प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि एसपी सुधीर जोशी व रेणु जोशी थे। आयोजक मीरा स्मृति संस्थान के अध्यक्ष प्रो. सत्यनारायण समदानी ने आभार प्रदर्शित किया। महोत्सव को सफल बनाने में संस्थान के पदाधिकारी ए.एल. जैन, अनिल सिसोदिया, अर्जुन मूंदड़ा, विनायक द्विवेदी, ओमप्रकाश औदिच्य, सुनील ढीलीवाल, कर्नल रणधीरंिसंह, राजेंद्रसिंह भाटी, अरविंद पुरोहित, जयप्रकाश भटनागर, लक्ष्मीनारायण दशोरा, राकेशचंद्र मंत्री, प्रदीप दीक्षित, अतुल सिसोदिया आदि का सक्रिय सहयोग रहा। संयोजन कुंतल तोषनीवाल ने किया।

मंच पर देखा पद्मावती का जौहर

महोत्सव के दरमियान माहेश्वरी महिला संगठन ने घूमर और पद्मावती जौहर की प्रस्तुति दी, जो दर्शकों को खूब पसंद आई। इसमें राजपूती पोशाक में सजी धजी महिलाओं ने राजा रत्नसेन और अलाउद्दीन के प्रसंग को मंच पर प्रदर्शित करते हुए जौहर का नजारा भी बखूबी पेश किया। इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। कलाकारों ने ‘म्हारी घूमर छ नखराली ओ मां’ गीत पर नृत्य की लाजवाब प्रस्तुति दी।

कान्हा संग खेली फूलों की होली

समारोह का अंतिम कार्यक्रम कान्हां संग फूलों की होली रहा। इसमें ऋतु डांस अकादमी की ऋतु सोमाणी और सौम्या डाड ने कान्हा और राधा के रूप में प्रस्तुति देते हुए अपनी टीम के साथ जमकर फूलों की होली खेली। शरद पूर्णिमा पर राधा और गोपियों के साथ महारास की प्रस्तुति भी हुई। फिल्मी गीत ‘राधा कैसे ना जले’ पर प्रस्तुत नृत्य की दर्शकों ने खूब दाद दी।

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