वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान प्रतिदिन विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही हैं कई गतिविधियां

चित्तौड़गढ़। जिले में वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण, संवर्धन, पारंपरिक जल स्रोतों के रखरखाव, वर्षा जल के संग्रहण तथा जन जागरूकता के लिए विभिन्न विभागों द्वारा प्रतिदिन विविध गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान आगामी 20 जून तक संचालित किया जाएगा।

जिला कलक्टर आलोक रंजन ने बताया कि प्रत्येक विभाग को दैनिक कार्यक्रमों के माध्यम से अभियान की सफलता में भागीदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

उन्होंने बताया कि 7 जून को पशुपालन विभाग द्वारा जिले के समस्त पशु चिकित्सा संस्थानों एवं गौशालाओं में स्वच्छता अभियान चलाकर सफाई कार्य किया जाएगा तथा जिला एवं ब्लॉक स्तर पर जल संरक्षण विषयक गोष्ठियों का आयोजन होगा। 8 जून को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, स्थानीय निकाय विभाग ,ग्राम पंचायत स्तर पर ग्रामवासियों, जनप्रतिनिधियों, नेहरू युवा केंद्र, राजीविका एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से

"वंदे गंगा प्रभात फेरी" जागरूकता रैली का आयोजन एवं स्थानीय निकाय विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों के वार्डों में भी प्रभात फेरी एवं जन जागरूकता अभियान का आयोजन किया जाएगा।

इसी प्रकार 9 जून को बहुविभागीय गतिविधियाँ के तहत ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा 10 नवीन अमृत सरोवरों का शुभारंभ, मनरेगा के तहत जल संग्रहण व जल संरक्षण की 62 नई संरचनाओं का शुभारंभ एवं 150 स्थलों पर पौधारोपण की अग्रिम तैयारी की जाएगी। "कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान" के अंतर्गत बड़ीसादड़ी ब्लॉक के 50 पूर्ण कार्यों का अवलोकन, 600 जल स्रोतों की मैपिंग एवं सफाई, 1400 सोख्ता गड्ढों की सफाई एवं गाँवों के मुख्य मार्गों, चौराहों एवं सार्वजनिक स्थलों की व्यापक सफाई का कार्य होगा।

सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा सरकारी भवनों में स्थापित RTWHS (रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम) की सफाई। रोड साइड पौधारोपण हेतु 1500 गड्ढों की अग्रिम तैयारी होगी।

स्थानीय निकाय विभाग द्वारा परिषद स्वामित्व वाले भवनों एवं बावड़ियों की सफाई व क्षमता वर्धन एवं रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं की सफाई व पुनर्स्थापना की जाएगी।

जिला प्रशासन द्वारा सभी विभागों को इस अभियान को जन आंदोलन का स्वरूप देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जल संरक्षण के प्रति जनसामान्य में जागरूकता उत्पन्न हो और वर्षा जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

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