हिन्दुस्तान जिंक द्वारा आयोजित शिक्षण शिविर में 4 हजार से अधिक छात्र छात्रांए लाभान्वित

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा आयोजित शिक्षण शिविर में 4 हजार से अधिक छात्र छात्रांए लाभान्वित
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हिन्दुस्तान जिंक द्वारा प्रदेश के 7 जिलों में दीपावली अवकाश के दौरान शिक्षा संबल कार्यक्रम के तहत अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित कर ग्रामीण क्षेत्रों के राजकीय विद्यालयों के 4 हजार 250 छात्र छात्राओं को गणित, विज्ञान व अंग्रेजी विषय की कोचिंग दी गयी। इस शिक्षण शिविर का उद्धेश्य शैक्षणिक रुप से कमजोर छात्र छात्राओं को गणित, विज्ञान और अ्रग्रेजी विषय में कोचिंग देकर बेहतर परिणाम हेतु सशक्त करना था।

शिविर के दौरान शैक्षणिक रुप से कमजोर छात्रों को व्यावहारिक एंव प्रायोगिक कक्षाओं के माध्यम से कठिन विषयों को सरल रुप में सीखाया गया। कैम्प में विद्यार्थियों को विज्ञान, गणित एवं अंग्रेजी पढ़ने-लिखने के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिला। हिन्दुस्तान जिं़क द्वारा विद्याभवन सोसायटी के सहयोग से आयोजित इन शिविरों में आगुचा, चित्तौड़गढ़, कायड़, दरीबा, देबारी और जावर के 4000 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया। शिविर के दौरान कमजोर छात्रों पर ध्यान देंते हुए पढ़ने और लिखने, समझने, गणितीय बुनियादी समस्याओं और विज्ञान की बुनियादी बुनियादी अवधारणाओं में कमजोर विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान दिया गया।

शिविर हेतु कमजोर छात्रों की सूची फिल्ड कार्मिकों द्वारा पहले से ही सूची तैयार की गयी। इन छात्रों पर कक्षाओं के दौरान गहन ध्यान दिया गया। दीवाली शिक्षण शिविर में कक्षाओं के दौरान मुख्य कार्य सीखने को बढ़ाने के लिए कार्यपुस्तिका गतिविधियों पर केंद्रित था। कार्यपुस्तिकाओं का उपयोग शुरू करने के लिए कार्यपुस्तिका में मौजूद विषयों और गतिविधियों, फील्ड कार्मिक ने छात्रों के घरों पर संपर्क किया। सुझाव के बाद विषय टीम ने सामूहिक योजना साझा की। सभी छात्रों से नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित होने को सुनिश्चित किया। छात्रों को समूहों में व्यवस्थित किया गया ताकि वे एक-दूसरे की मदद कर सकें। जो विद्यार्थी पढ़ाई में अच्छे हैं उन्हें अपने अध्ययन के साथ-साथ कमजोर बच्चों की मदद करने की जिम्मेदारी दी गयी।

हिंदुस्तान जिंक द्वारा शिक्षा संभल कार्यक्रम शिक्षा पर केंद्रित सीएसआर पहल है, जो 2008 से संचालित है जो कि विद्या भवन सोसाइटी के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण छात्रों के बीच वैचारिक ज्ञान को मजबूत करना है, जिससे उनके सीखने के स्तर में सुधार हो सके।

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