गणपति विसर्जन पर होगा भव्य चल समारोह,: चित्तौड़गढ़ में 50 हजार लोगों के लिए महाप्रसादी की तैयारियां शुरू
चित्तौड़गढ़ पर अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन होगा। इसे लेकर पुलिस और प्रशासन की ओर से तैयारियां की जा रही हैं। वहीं यहां निकलने वाले चल महोत्सव के दौरान करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद का आयोजन होगा, जिसके लिए चित्तौड़गढ़ महोत्सव समिति की ओर से तैयारियां जोरों पर है। इस मौके पर हलवाइयों की 100 सदस्यों की टीम भोजन तैयार करेगी। इस आयोजन को लेकर सबसे खास बात यह है कि समिति इस आयोजन के लिए कहीं भी चंदा एकत्रित करने नहीं जाती, बल्कि हर कोई अपनी तरफ से सामग्री या नकद राशि का दान देता है।
अनंत चतुर्दशी के मौके पर पूरे दिन प्रतिमाओं के विसर्जन कार्यक्रम के दौरान यहां चित्तौड़ महोत्सव समिति के बैनर तले श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद कराया जा रहा है। समिति करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के लिए भोजन बनवा रही है। इसे लेकर समिति की पूर्व में बैठक हो चुकी है। शहर में सूचना केंद्र के बाहर त्रिनेत्र गणेश मंदिर पर श्रद्धालुओं को महाप्रसाद करवाया जाएगा। महाप्रसाद बनाने का कार्य सोमवार दोपहर से शुरू होगा, यहां 100 हलवाई और 150 मजदूरों की टीम महाप्रसाद बनाएगी। अनंत चतुर्दशी पर दो अलग-अलग काउंटर लगाकर महाप्रसाद करवाया जाएगा। इसके लिए बड़े चूल्हे बनाने का काम हो चुका है। श्रद्धालुओं को दाना मैथी, पकोड़ी, मिर्ची गट्टे, अचार, नमकीन की सब्जी और पूड़ी महाप्रसाद के रूप में दी जाएगी।
भामाशाह की मदद से होता है आयोजन
चित्तौड़ महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील ढीलीवाल ने बताया कि यह आयोजन भामाशाह की मदद से होता आया है। भामाशाह स्वयं आगे आकर तेल, आटा, सब्जियां, गैस सिलेंडर आदि का सहयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त होने वाले अन्य व्यय को लेकर भी भामाशाह आगे आए हैं। इसके साथ ही अन्य समितियों का गठन भी किया गया है, जो यहां पूरे दिन सेवाएं देंगी।
प्रदेश के बड़े आयोजनों में से एक
अनंत चतुर्दशी पर प्रदेश में होने वाले बड़े आयोजनों में से एक है चित्तौड़गढ़ का महोत्सव। यहां घर-घर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना होती है। सुबह से ही प्रतिमाओं के विसर्जन का दौर शुरू हो जाता है। पूरे दिन में 5 हजार से ज्यादा प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। 600 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं। वहीं शाम छह बजे लाइसेंस वाली झांकियों का जुलूस गांधी चौक से शुरू होता है। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर गंभीरी नदी में प्रतिमाओं का विसर्जन होता है।