12 टन फूलों से सजा सांवलिया सेठ मंदिर, गुमनाम भक्त ने मन्नत पूरी होने पर सजवाया दरबार

चित्तौड़गढ़: जिले में स्थित वैश्विक आस्था का केंद्र श्री सांवलिया सेठ मंदिर एक बार फिर अपनी भव्यता और भक्ति की छटा से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रहा है. इस बार मंदिर परिसर को 12 टन फूलों से सजाया गया है, जिससे संपूर्ण धाम महक उठा है. मंदिर बोर्ड के चेयरमैन हजारी दास वैष्णव ने बताया कि यह अनुपम सजावट एक गुमनाम श्रद्धालु की ओर से करवाई गई है, जिसने अपनी भक्ति और श्रद्धा को फूलों की सजीव प्रस्तुति से प्रकट किया.
मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस सजावट की पहल एक श्रद्धालु ने की थी, जिसने अपना नाम गुप्त रखने की इच्छा जताई. श्रद्धालु ने मंदिर प्रशासन से विशेष अनुमति लेकर यह श्रृंगार करवाया और स्पष्ट रूप से कहा कि यह कार्य किसी प्रचार या प्रसिद्धि के लिए नहीं, बल्कि केवल भक्ति और श्रद्धा के भाव से किया गया है.
फूलों से बनी रचनाओं ने मोहा मन: मंदिर के अंदर की सजावट में विशेष रूप से फूलों से बना विशाल झूमर सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें 'सांवलिया सेठ' लिखा गया था. आमतौर पर कांच के झूमर देखे जाते हैं, लेकिन यहां फूलों से सजा यह झूमर अनूठा और भव्य प्रतीत हुआ. मंदिर के गर्भगृह के बाहर की दीवारों पर की गई सजावट, और फूलों से बनाए गए मोर और अन्य पक्षी भक्तों का मन मोह रहे थे.
श्री सांवलिया जी मंदिर की यह भव्य सजावट सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है. रंग-बिरंगे फूलों से सजे मंदिर के फोटो और वीडियो को श्रद्धालु खूब पसंद कर रहे हैं और शेयर भी कर रहे हैं. मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को एक अलौकिक अनुभव प्राप्त हुआ, क्योंकि मंदिर की हर दीवार, छत और आंगन फूलों की सुगंध और सौंदर्य से सराबोर था.
विभिन्न राज्यों से मंगवाए गए फूल: इस विशाल सजावट के लिए मोगरा, चमेली, मेरीगोल्ड, कनेर, ब्लू स्टार, रजनीगंधा, राइवल, एंथोरियम, रोज और करीनाशन जैसे सुगंधित और रंगीन फूलों का उपयोग किया गया. ये सभी फूल हिमाचल प्रदेश, कोलकाता और दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से मंगवाए गए थे.
सजावट की तैयारी एक दिन पूर्व से ही शुरू कर दी गई थी और शुक्रवार सुबह अंतिम रूप दिया गया. शुक्रवार सुबह जब मंदिर के द्वार खुले, तो भक्तों ने इस नजारे को देखकर हैरत और भक्ति से परिपूर्ण माहौल का अनुभव किया. फूलों की महक और सजावट ने पूरे मंदिर परिसर को एक दैवीय रूप दे दिया. सामान्य दिनों की तुलना में इस दिन श्रद्धालुओं की संख्या भी अधिक रही और मंदिर में रौनक देखते ही बन रही थी.
