26 नवम्बर , संविधान दिवस , राष्ट्रीय पर्व घोषित हो , उठाई मांग

चित्तौडगढ़ भारत में संविधान के 75 वें दिवस पर इसे लोकतंत्र स्थापित दिवस बताते हुए भारतीय दलित साहित्य अकादमी चितौड़गढ के जिलाध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी ने महामहिम राष्ट्रपति महोदया से अपील कर निवेदन किया कि -

26 नवम्बर , संविधान दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित करते हुए इस दिवस को पूरे देश मे राष्ट्रीय अवकाश हों ताकि लोकतंत्र स्थापित दिवस को देश के सभी नागरिक बड़े हर्षाेल्लास से मना सकें। अकादमी के जिलाध्यक्ष ओजस्वी ने बताया कि भारत में वास्तविक आजादी का दिवस भी लोकतंत्र तंत्र लागू होने से 26 जनवरी है। 26 नवम्बर 1949 को संविधान के रचयिता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर साहेब के द्वारा 2 वर्ष , 11 माह , 18 दिनों में विश्व का सबसे अच्छा व बड़ा संविधान तैयार कर, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सौंपा गया।

ओजस्वी ने बताया कि 26 नवम्बर को सभी अपने मकानों को रोशन करें, खीर पुड़ी बनाएं,सभी को खिलाएं, इस दिवस पर संविधान के सम्बंध में जागरूकता जगाएं, संविधान का सभी लोग सम्मान करें , संविधान की बदौलत ही देश में अन्याय, सामाजिक नफरतें, समाप्ति की ओर बढ़ते हुए , अपने हक अधिकार मिल पाए हैं। इस दिवस पर दिन में ठीक 12 बजे सामूहिक तौर पर राष्ट्रगान हो, संविधान की उद्देशिका का अध्ययन हो, मूल कर्तव्य तथा हक अधिकारो से सभी जानकर हों, इस दिवस पर केवल संविधान के प्रति जागरुकता लाने के ही उद्बोधन हो, संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के त्याग व बलिदान से सभी को अवगत कराएं। समापन भी राष्ट्रगान के साथ हो। ओजस्वी ने सभी देशवासियों को बधाई देते हुए बताया कि इस दिन जगह-जगह स्वागत द्वार लगाते हुए संविधान से संबंधित झांकियां निकालें। एक दूसरे से मिलकर शुभकामनाएं दें। सभी को खीर पुड़ी खिलाएं। वास्तव में हम, जिस दिन लोकतंत्र स्थापित हुआ उस दिन आजाद हूए हैं। संविधान से बढ़कर भारत में और कोई बड़ा दिवस, विधान और ग्रन्थ नहीं है। संविधान ही हमें आपसी भाईचारा, समानता, सद्भाव, नैतिकता सिखाता है और यही काफी है हम भारत के लोगों के लिए। इस दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाए। ताकि हर नागरिक देश में इस पर्व को सबसे बड़े त्यौहार के रूप मे मना सके।

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