पहली दृष्टि आपके पुण्य पर पड़ती है योग्यता और कार्यों पर बाद में केशव विजय म सा

चित्तौड़गढ़। रविवार को दिवाकर स्वाध्याय भवन में छोटे दिवाकर के नाम से प्रसिद्ध गुरुदेव धर्म मुनि ने प्रवचन देते हुए मानव जीवन और धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दूसरों को खिलाकर भोजन देना संस्कार और संस्कृति है, जबकि केवल अपने लिए खाना विकृति है।

गुरुदेव ने बताया कि गरीबों और भूखों की मदद करना व्यक्ति के पुण्य को बढ़ाता है और सुख-शांति पाने का मार्ग यही है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का धन और संसाधन परमार्थ और दूसरों के कल्याण में लगाया जाना चाहिए। अपने प्रवचनों में उन्होंने जैन धर्म का महत्व समझाते हुए कहा कि यह केवल जैन समाज के लिए नहीं, बल्कि सभी आत्माओं के कल्याण का मार्ग है।

केशव विजय मुनि जी ने स्पष्ट किया कि दुनिया में अधिकांश रिश्ते स्वार्थ से जुड़े हैं और इसी कारण मनुष्य जन्म-मरण के बंधनों में फंसा रहता है। उन्होंने जोर दिया कि धर्म और कर्म युक्त जीवन ही व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है।

धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष किरण जी ङागी और महामंत्री राजेश जी सेठिया ने उपस्थित धर्मप्रेमियों का स्वागत किया और नवकार मंत्र के जाप में अधिक से अधिक भागीदारी लेने का आह्वान किया। इस चातुर्मास में धर्म और तपस्या की विशेष लड़ी चल रही है, जिसमें सोनम धर्मपत्नी निर्मल जी कोठारी आज 21वें उपवास में भाग ले रही हैं।

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