रमेश ईनाणी हत्याकांड में संत रमताराम को झटका, कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

रमेश ईनाणी हत्याकांड में संत रमताराम को झटका, कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की खारिज
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चित्तौड़गढ़। चर्चित रमेश ईनाणी हत्याकांड में अदालत ने बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। एडीजे-1 कोर्ट ने रामस्नेही संत रमताराम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने हत्या को सुनियोजित साजिश और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग बताया।

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि भाजपा नेता रमेश ईनाणी और संत रमताराम के बीच लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इसी रंजिश के चलते ईनाणी की हत्या करवाई गई। जांच में सामने आया है कि संत रमताराम ने शूटर को इस वारदात के लिए हायर किया और अलग अलग खातों के जरिए रकम भी पहुंचाई गई।

क्या है पूरा मामला

भाजपा नेता रमेश ईनाणी 2019 से 2022 तक पार्टी में नगर मंत्री रह चुके थे। 11 नवंबर को वे स्कूटी से अपने काम पर जा रहे थे। इसी दौरान बाइक पर हेलमेट पहनकर आए बदमाश ने उन पर फायरिंग कर दी। गोली लगते ही ईनाणी स्कूटी समेत सड़क पर गिर पड़े।

गंभीर हालत में उन्हें चित्तौड़गढ़ के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उदयपुर रेफर किया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। घटना के बाद पुलिस ने देर शाम आरोपी को डिटेन कर लिया था।

कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें

ईनाणी परिवार की ओर से लक्ष्मी लाल और पुलिस की तरफ से सरकारी वकील पुष्पेंद्र ओझा ने पक्ष रखा। थानाधिकारी ने कोर्ट में बताया कि जांच में यह साफ हुआ है कि शूटर और संत रमताराम लगातार एक दूसरे के संपर्क में थे।

पुलिस के अनुसार मोबाइल कॉल डिटेल, मौखिक बयान और चश्मदीदों के बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि दोनों के बीच गहरे संबंध थे। शुरुआत में संत रमताराम ने पूछताछ के दौरान शूटर को पहचानने से इनकार किया, लेकिन बाद में सामने आए सबूतों ने उनके बयान को गलत साबित कर दिया।

वॉट्सऐप कॉल और डिजिटल सबूत बने आधार

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि मामले में सिर्फ बैंक लेनदेन ही नहीं, बल्कि कॉल रिकॉर्ड, मोबाइल लोकेशन और अन्य डिजिटल सबूत भी अहम हैं। वारदात से पहले और बाद में संत रमताराम और शूटर के बीच लगातार संपर्क रहा। दोनों के बीच कई बार वॉट्सऐप कॉलिंग भी हुई।

अभियोजन पक्ष ने बताया कि इन सभी तथ्यों और सबूतों को केस डायरी में शामिल किया गया है। पुलिस ने यह भी संकेत दिए कि इस हत्याकांड में एक अन्य संत या उसके सहयोगियों की भूमिका भी हो सकती है, जिसकी जांच अभी जारी है।

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