दिवाकर दरबार में धर्म, तप और आत्मा कल्याण पर प्रेरक प्रवचन

चित्तौडगढ त्याग तपस्या और बलिदान की वीर भूमि चित्तौड़ के दिवाकर स्वाध्याय भवन में बुधवार को छोटे दिवाकर जी के नाम से प्रसिद्ध गुरुदेव धर्म मुनि जी ने दिवाकर दरबार में प्रवचन देते हुए कहा किसी की निंदा करना किसी की चुगली करना सबसे बड़ा पाप है व्यक्ति को दूसरे की आलोचना करने के स्थान पर अपने बुरे कर्मों की आलोचना करनी चाहिए क्योंकि दूसरे की आलोचना और निंदा करना पाप कर्मों का बंधन है और अपनी और अपने बुरे कर्मों की आलोचना करना मुक्ति का माध्यम है व्यक्ति को दूसरे के पाप उजागर नहीं करने चाहिए और अपने पापों को छिपाना नहीं चाहिए गुरुदेव ने अपने प्रवचनों में कहा कि परिवार और रिश्तेदार यह सब स्वार्थ के कारण व्यक्ति से जुड़े हुए हैं और जब तक परिवार से धन संपदा से मोह और ममता नहीं हटेगी तब तक व्यक्ति संमता के मार्ग पर नहीं चल सकता है व्यक्ति छोटे-छोटे त्याग करके अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है और आत्मा सब की बराबर होती है अमीर गरीब छोटा बड़ा सभी जीव की आत्मा बराबर है गुरुदेव ने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य जीवन बहुत अनमोल है और इसे पाने के लिए देवता भी व्याकुल रहते हैं क्योंकि मोक्ष में जाने के लिए मनुष्य जन्म लेना आवश्यक है और मनुष्य जन्म और उत्तम कुल बहुत मुश्किल से और बहुत बड़ी पुनवानी होने पर ही मिलता है और जो व्यक्ति धर्म की बात सुनकर उसके अनुसार आचरण करता है तभी उसे सद्गति मिलती है और तभी उसके जीवन का उद्धार होता है और जब तक व्यक्ति के जीवन से राग-द्वेष लोभ लालच इर्षा अभियान और अहंकार की भावना खत्म नहीं होगी तब तक व्यक्ति की आत्मा का कल्याण संभव नहीं है धर्म सभा में बोलते हुए चिराग मूनी जी ने कहा जब तक धर्म के प्रति आपकी श्रद्धा पैदा नहीं होगी तब तक आपको धर्म के प्रति रुचि और लगाव पैदा नहीं होगा और जब तक धर्म के प्रति लगन नहीं होगी तब तक आपका कल्याण नहीं होगा और कहते हैं कि बिना लग्न के शादी भी नहीं होती इस प्रकार धर्म में लग्न के बिना व्यक्ति की आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है मुनिश्री ने कहा कि व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म और अच्छे कार्य करने चाहिए क्योंकि आप जैसा कार्य करेंगे जैसी करनी करेंगे वैसा ही आपकी पुण्यवानी और वैसा ही आपको फल मिलेगा इसलिए जीवन में आत्मा के कल्याण के लिए हमेशा अच्छे कार्य करें और प्रभु महावीर के सिद्धांत को जीवन में उतारने का प्रयास करें आत्मा के कल्याण के लिए दान तप और अच्छी भावना यह कार्य मनुष्य को अपने जीवन में करना चाहिए दिवाकर दरबार में विराजित साध्वी जी ने मंगल पाठ करके प्रवचनों की शुरुआत की और कहा कि सभी को अच्छे संस्कारवान घर में अपने लड़के का विवाह करना चाहिए दहेज और धन के लालच में संस्कारहीन लड़की से अगर अपने पुत्र का विवाह कर दिया तो आपका जीवन नर्क बन जाएगा धन दौलत के स्थान पर संस्कारवान लड़की और संस्कारवान परिवार को महत्व देना चाहिए संघ के प्रचार प्रसार मंत्री विनय कुमार मारू ने बताया कि नवनिर्वाचित अखिल भारतीय दिवाकर संगठन समिति के अध्यक्ष और 6 उपवास की तपस्या पर डॉक्टर आई एम सेठिया का स्वागत किया बाहर से पधारे हुए सभी धर्म प्रेमी बंधुओ का संघ के अध्यक्ष किरण जी डागी ने स्वागत अभिनंदन किया और संघ के महामंत्री राजेश जी सेठिया ने बताया कि आज के जाप की प्रभावना श्री मनसुख लाल प्रकाश चंद्र हंसराज नवीन कुमार पटवारी परिवार द्वारा वितरित की गई और सभी से नवकार मंत्र के जाप में अधिक से अधिक दिवाकर दरबार में सहभागिता करने की विनती की

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