एक शाम - छलकते झील के नाम

चितौड़गढ़, |काव्य गोष्ठी मंच और राणा राज सिंह पैनोरोमा के संयुक्त तत्वावधान व वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद सनाढ्य के संयोजन में विराट काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कवि हाजी अब्दुल जब्बार. चितौड़गढ़, विशिष्ट अतिथि तेराकीं संघ अध्यक्ष विनोद सनाढ्य व पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष मानसिंह बाहरट थे अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अफ़ज़ल खान अफ़ज़ल ने की, नीतू बाफना के द्वारा सरस्वती वंदना मां शारदे,,,मेरे कंठ को मधुर धार से काव्य गोष्ठी का आरंभ हुआ ,, उदयपुर के गीतकार कैलाश सोनी ने,,खूबसूरत अयोध्या सजने लगी,,राम सबके दिलों में समाते रहे,, सुना कर सनां बांध दिया,, अजमेर के शायर अरुण त्रिपाठी,, चुटकलों के शोर ने कविताएं दबा रखी है व इस घर से उस घर मिट्टियां रह जाएगी, आदमी के हाथ बस दो रोटियां रह जाएगी,,मंच को उंचाइयां प्रदान की,, चितौड़ के हास्य कवि अमृत वाणी ने मेवाड़ी व वागड़ी भाषा में हास्य की कविता सुनाई,,, उदयपुर के हास्य व्यंग कवि डॉ मनोहर श्रीमाली ने,, उलट पुलट हेर फेर हो गया,, ये मनोहर अनुपम खैर हो गया सुना खूब हंसाया,, अपने जमाने विश्व विख्यात कवि उदयपुर के डाड़म चंद डाड़म अपने प्रसिद्ध रचना,, मारा ब्याजी व्याव किदो,, व हम वे तो कम खानों पर दो लुंगाया वाला का अठे चोरी करवां नी जानों
सुना,,श्रोताओं को लोट पोट कर दिया,, रतलाम के मशहुर शायर,, प्रमोद रामावत ने,,एक भाषा है जो सारे मुल्क को मंजूर है आप रिश्वत की जुबान में बात करके देखियें,,अमन कमेठी की बैठक में जाने पर ये पता लगा जिनसे अमन को खतरा था वो सारे लोंग यहां बैठे मिलें सुना,, राजनैतिक व्यवस्था पर चोट की,, चितौड़ के राष्ट्रिय कवि हाज़ी अब्दुल जब्बार ने,, अपनी प्रसिद्ध रचना,, निर्मल नीर गंगा का,, व एक शहर की बात सुनाऊं , राजसमन्द निराला है,, नौ चौकी की पाल यहां,,ये शहर दिल वाला है,, महारणा प्रताप , मीरा , पन्ना धाय के चरित्र पर कवितां सुना मंच लुट लिया,,, काव्य गोष्ठी मंच के कवि राजकुमार शर्मा ने,, ये चंदन वाली माटी है ये हल्दी घाटी है,, उमा जोशी ने,, जीना यहां आसान कहां है, हर पल एक कसौटी है,, गोपाल शर्मा ने महाराणा अमर सिंह की वीरता पर आधारित गीत तलवारों के खेतों से क्या खाक बाज़रा काटेगा,तू दिल्ली का नौकर है दिल्ली के तलवे चाटेगा,, शेख अब्दुल हमीद ने,,,,दिन तो कट जाता है पर रात से डर लगता है,दर्शन पालीवाल ने, कोई आता है कोई तैयार खड़ा है जाने को,परितोष पालीवाल ने,, घाटी फिर कराह उठी है फिर आंतकी आघातों से,कृष्ण कांत सांचीहर ने,, अगर हो देखना ईश्वर पिता को देख लेना तुम,, हेमेन्द्र सिंह चौहन ने,,, असली कविता तो गोष्ठियों में होती है,, विनोद सनाढ्य ने,, शब्द शब्द हर कोई कहे शब्द के हाथ ना पांव एक शब्द घाव एक करे उत्थान,, नारायण सिंह राव ने,, साहित्य समाज दिशा और दशा बदल देता है,, लता ओमेटा,,,केशव की कारी कारी नयन की दिवानी राधा,, सूर्य प्रकाश दीक्षित ने संचालन करते हुए,,अपनी प्रसिद्ध रचना बुजुर्गो की निशानी है तस्वीरों में,, प्रस्तुत की,, इस अवसर पर राजनगर में जन्में राष्ट्रीय कवि अब्दुल जब्बार को काव्य गोष्ठी मंच की तरफ राजसमन्द गौरव सम्मान से नवाजा गया,, चतुर कोठारी, दिनेश श्रीमाली को साहित्य और समाज सेवा सम्मान से नवाज़ा गया,,तैरीकी संघ की तरफ से विनोद सनाढ्य ने अब्दुल जब्बार व सूर्य प्रकाश दीक्षित का सम्मान किया,,इस अवसर पर,नरेंद्र सिंह रावल, अन्नू राठौड़ "रुद्रांजली " , प्रकाश जांगिड़ मनोज लोढ़ा राम गोपाल आचार्य ज्योत्सना पोखरना दिनेश पंचोरी गोविन्द दीक्षित मुकेश शर्मा राहुल दीक्षित विजय शर्मा कमलेश जोशी पार्थ आजाद भारती डॉ दीपक सोनी,अश्वनी पुरोहित सत्यनारायण पंवार , मुकेश चावला बंशी लाल राकां, धर्मेंद्र बंधु अश्विनी पुरोहित, रमेश चंद्र चावला अनमोल आचार्य, रमेश आचार्य आदि उपस्थित थे,
