कृषि में आत्मनिर्भरता की मिसाल बने रतनलाल भील

कृषि में आत्मनिर्भरता की मिसाल बने रतनलाल भील
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चित्तौड़गढ़ । किसान रतनलाल भील, निवासी ग्राम कल्याणपुरा, लंबे समय से खेती पर आश्रित थे। वर्षों से वे परिश्रमपूर्वक अपनी भूमि पर खेती कर रहे थे, लेकिन कुछ वर्षों से लगातार फसलें कमजोर होती जा रही थीं। उत्पादन घटने लगा था और आय में भारी गिरावट आ गई थी। रतनलाल जी के लिए यह एक कठिन दौर था – मेहनत वही, खर्चा बढ़ता गया, पर परिणाम निराशाजनक।

रतनलाल जी को न तो यह समझ आ रहा था कि समस्या कहां है, और न ही कोई समाधान नजर आ रहा था। कुछ समय तक उन्होंने मौसम, बीज और पानी को कारण मानकर बदलाव किए, लेकिन सुधार नहीं हुआ। इसी दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़ा के अंतर्गत 02 जुलाई को कपासन पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पाण्डोली स्टेशन में आयोजित कृषि विभाग के शिविर में उनकी मुलाकात स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक से हुई। यहां उन्होंने अपनी समस्या खुलकर साझा की।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें "मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना" के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह योजना राज्य सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जिसका उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण कर किसानों को उनकी भूमि के अनुसार उर्वरक और पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग का मार्गदर्शन देना है।

रतनलाल जी ने तुरंत अपने खेत की मृदा जांच करवाई। मृदा परीक्षण की रिपोर्ट से यह पता चला कि उनके खेत की मिट्टी में जिंक, नाइट्रोजन और जैविक तत्वों की भारी कमी थी। इसके बाद कृषि विशेषज्ञों ने उन्हें वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद और जिंक सल्फेट के उचित मात्रा में उपयोग की सलाह दी।

रतनलाल जी ने बिना समय गंवाए सुझाए गए उपाय अपनाए। उन्होंने रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग शुरू किया और संतुलित पोषक तत्वों का प्रयोग कर खेत की उर्वरता को सुधारने का काम शुरू किया। कुछ ही महीनों में जमीन की सेहत में बदलाव साफ नजर आने लगा।

आज उनकी फसलें पहले से कहीं अधिक हरी-भरी हैं, उत्पादन दोगुना हो गया है और आमदनी में भी आशाजनक वृद्धि हुई है। जहां पहले वे अपनी खेती को छोड़ने तक का विचार कर रहे थे, वहीं आज वे आसपास के किसानों को भी जैविक खेती और मृदा परीक्षण के महत्व को समझा रहे हैं।

किसान रतनलाल ने कहा कि "राज्य सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी है। मिट्टी की सही जानकारी मिलने से मैंने खेत को पुनः उपजाऊ बना लिया। आज मेरी फसलें लहलहा रही हैं, और मेरा परिवार सुखी है। मैं राज्य सरकार और कृषि विभाग का तहे दिल से आभार प्रकट करता हूं। ऐसी योजनाएं हम किसानों के लिए वरदान हैं।"

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