दिवाकर स्वाध्याय भवन में धर्म प्रवचन

दिवाकर स्वाध्याय भवन में धर्म प्रवचन
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चित्तौड़गढ़। दिवाकर स्वाध्याय भवन में सोमवार को आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में गुरुदेव धर्म मुनि ने नारी धर्म, समय के महत्व और जीवन में धर्म के प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि नारी का प्रथम कर्तव्य अपने पति को परमेश्वर मानकर उनकी सेवा करना है। जो नारी सास-ससुर की सेवा करती है, उसका सदैव कल्याण होता है और उसकी पुण्यवाणी भी बढ़ती है। इसके विपरीत, जो नारी पति को दुख देती है और सास-ससुर की सेवा नहीं करती, उसके धार्मिक क्रियाकलाप व्यर्थ हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति नहीं मिलती। गुरुदेव ने कहा – “यदि नारी ने सच्चे मन से पति और सास-ससुर की सेवा कर ली तो मानो उसने सारे तीर्थ कर लिए।”

समय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि क्षण भर भी प्रमाद में समय व्यर्थ करना जीवन को नर्क समान बना देता है।

इसी क्रम में दिवाकर दरबार में प्रखर वक्ता केशव विजय मुनि जी ने प्रवचन देते हुए कहा कि संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है जिसकी सभी इच्छाएँ पूरी हुई हों, क्योंकि इच्छाएँ शरीर से नहीं बल्कि मन से जुड़ी होती हैं। शरीर की आवश्यकताएँ सीमित हैं, लेकिन मन की इच्छाएँ असीमित हैं। उन्होंने कहा कि अनावश्यक इच्छा पाप को जन्म देती है और यह व्यक्ति का समय, शक्ति और पुण्यवाणी – तीनों नष्ट करती है।

गुरुदेव ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी जल्दी और ज्यादा पैसा चाहती है, जिसके लिए वह गलत साधनों का सहारा ले रही है। यही उसकी अशांति और दुखों का कारण बन रहा है।

धार्मिक व्यक्ति की निशानी बताते हुए उन्होंने कहा कि सच्चा धार्मिक वही है जो संतोषी है। “जो पास है वही पर्याप्त है – यही सुख का आधार है। मुझे और चाहिए, यही दुखों का द्वार है।”

प्रवचन के पश्चात संघ के प्रचार-प्रसार मंत्री विनयी कुमार मारू ने बाहर से आए धर्मप्रेमियों का स्वागत किया। संघ अध्यक्ष किरण जी डांगी और महामंत्री राजेश जी सेठिया ने 24 घंटे के नवकार मंत्र जाप में सहभागिता का आह्वान किया।

इसी दौरान दिवाकर महिला परिषद द्वारा नानू नवकार भवन में लाखीना आयंबिल का आयोजन किया गया। परिषद अध्यक्षा संगीता जी चिपड़ व अन्य महिला पदाधिकारियों के सहयोग से 250 जनों ने आयंबिल का लाभ लिया।

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