अंतर्राज्यीय चोर गिरोह का खुलासा: ज्वैलर्स की दुकान से सोना चोरी के दो आरोपी गिरफ्तार
चित्तौड़गढ़। कपासन पुलिस ने अन्तर्राज्य चोर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गत दिनों कस्बे में स्थित शीतल ज्वैलर्स से सोने के ज्वैलर्स चोरी की वारदात का खुलासा कर 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर वारदात में प्रयुक्त स्वीफ्ट मारूती कार को जब्त कर किया है। पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने बताया कि गत 16 मई को प्रार्थी मुकेश कुमार पिता नंदलाल जाति सिरोया निवासी समता भवन कपासन ने थाने पर एक लिखित रिपोर्ट दी जिसमें बताया कि उसकी सुनार की दुकान बस स्टेण्ड पर है, जहां पिता नंदलाल दुकान पर अकेले बैठे थे। एक अज्ञात लड़की व एक अज्ञात बुजुर्ग ने दुकान से एक डिब्बे से 200 ग्राम सोना चोरी किया जिसमें बालिया, लॉग ईत्यादि सामान था।
प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए अति पुलिस अधीक्षक पर्वत सिंह व वृताधिकारी अनिल सारण के सुपर विजन में थानाधिकारी रतनसिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। टीम द्वारा मुलजिमानों को पकडने हेतु तकनीकी साक्ष्यों, मुखबीर तंत्र को मजबूत कर संदिग्धों की तलाश की गई। साईबर सैल टीम को मौके पर बुलाकर बी.टी.एस. लिया गया। जरायन पेशा व्यक्तियों के डेरों में सादा वस्त्र धारी जवान लगा कर आसुचना संकलित की गई। प्रकरण में मनोवैज्ञानिक तरीके एवं तकनीकी सहायता से अनुसंधान कर रेवाडी हरीयाणा से अरोपियों को गिरफ्तार कर प्रकरण का खुलासा किया गया। पुलिस ने जसवन्त सिंह पिता रतन सिंह सैनी व ललित पिता नरेश गोद पुत्र सुरेन्द्र जाति बावरीया निवासी रेवाडी हरियाणा को गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपी उच्च दर्जे के बदमाश होकर पंजाब, हरीयाणा एंव राजस्थान में काफी स्थानों से ज्वैलर्स की दुकानों से सोने व चांदी के ज्वैलरी चोरी करना कबुल किया है। गठित टीम में उनि लादूलाल, सुभाषचन्द्र, कानि. पप्पूराम, वेदप्रकाश, राजेन्द्र, साईबर सेल से हेड कानि राजकुमार, रामावतार, कानि गणपत, महिला कानि स्मिता, जितेन्द्र कुमार का सहयोग रहा। वारदात में लिप्त महिला सहित तीन अन्य आरोपियांे की तलाश जारी है।
प्रतिष्ठान को चिन्हित कर वारदात को देते अंजाम
गठित टीम द्वारा तकनीकी आधार पर आरोपियो को नामजद कर बस ऑटो चला आरोपियों के ठिकानों की रैकी कर एंव फाईनेन्स कम्पनी के कर्मचारी बन लोन पास कराने के लिये वेश बदल कर अभियुक्तों तक पहुंचे। अभियुक्तों ने पुछताछ पर बताया कि वारदात से एक दिन पहले घटनास्थल से 50-60 किलोमीटर दूर शहर में धर्मशालाओं में कमरा किराये लेकर चिन्हित वारदात स्थल पर सुबह जल्दी रैकी करना एंव जिस दुकान पर दुकानदार वृद्धजन हो ऐसी दुकान को चिन्हित कर वारदात कर पुलिस से बचने के लिये ग्रामीण रास्तों से फरार हो जाया करते थे। खास बात यह है कि गिरोह में महिला व बच्चों को रखा जाता था, जिससे सामने वालें को परिवार की तरह लगे, ऐसे में उनको साथ रखकर वारदात को अंजाम दिया जाता था।