तीन दिवसीय अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव का शुभारंभ

निम्बाहेड़ा। जैन आचार्य खूबचन्द म.सा की जन्मस्थली निम्बाहेड़ा में 29 अप्रैल, मंगलवार को संघ एकता के अग्रदूत पूज्य गुरुदेव जैन दिवाकर चौथमल म.सा. एवं जैन दिवाकरीय, मालव सिंहनी महासाध्वी श्री कमलावती जी म.सा. की सुशिष्या अनुष्ठान आराधिका, ज्योतिष चन्द्रिका साध्वी डॉ. कुमुदलता म.सा. आदि ठाणा-4 का मंगल प्रवेश हुआ, इसके साथ ही संघ के तत्वावधान में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव का शुभारंभ हुआ।
साध्वी डॉ. कुमुदलता जी म.सा. के साथ साध्वी डॉ. महाप्रज्ञा जी म.सा., साध्वीडॉ. पदमकीर्ति जी म.सा. एवं साध्वी राजकीर्ति जी म.सा. ने मंगलवार को प्रातः 8 बजे नीमच मार्ग रेलवे अंडरब्रिज के समीप स्थित इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर से नगर में मंगल प्रवेश किया, जहां निम्बाहेड़ा सकल संघ के द्वारा साध्वी की अगुवानी की गई। साध्वी श्री डॉ. कुमुदलता जी म.सा., आदि ठाणा-4 श्रावक-श्राविकाओं के साथ रेलवे स्टेशन मार्ग, मोती बाजार, चित्तौड़ी दरवाजा से आदर्श कॉलोनी मार्ग होते हुए जैन दिवाकर भवन पहुंचे, यहां धर्मसभा का आयोजन हुआ।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए अनुष्ठान आराधिका साध्वी श्री डॉ. कुमुदलता जी म.सा. ने अक्षय तृतीया के महत्व के बारे बताया। उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया, जिसे अखती या अक्षय तीज भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म और जैन धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। साध्वी ने कहा कि "अक्षय" का अर्थ है "जो कभी क्षय न हो", अर्थात् इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य, दान, पूजा अथवा शुभ कार्य अनंत फल देने वाला और अक्षय (चिरस्थायी) होता है। इसलिए सभी इस दिन की महत्ता को समझते हुए कुछ ना कुछ दान अवश्य करना चाहिए, विशेषकर इस दिन जल से भरे घड़े, अनाज, वस्त्र, सोना, गौ, भूमि आदि का दान अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें यह सिखाता है कि शुभ कर्मों की पूंजी अक्षय होती है, जो भी पुण्य, दान या सेवा भावना से किए गए कार्य इस दिन किए जाते हैं, उनका फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है। यह आत्मा की शुद्धि, भक्ति और मोक्ष के पथ को प्रशस्त करने का अवसर है।
साध्वी श्री ने कहा कि अक्षय तृतीया का जैन धर्म में भी विशेष स्थान है। भगवान ऋषभदेव ने इसी दिन अन्न जल का प्रथम आहार ग्रहण किया था, इसलिए यह तप और संयम का पर्व भी माना जाता है।
धर्मसभा से पूर्व बहु मण्डल एवं महिला मंडल द्वारा स्वागत एवं मांगलिक गीत के द्वारा साध्वी का स्वागत अभिनंदन किया गया। धर्मसभा का संचालन श्री संघ के मंत्री गिरीश श्रीमाल ने किया। धर्मसभा के दौरान नरेंद्र चौरड़िया मुंबई, सुनील बोहरा चित्तौड़गढ़ का संघ के अध्यक्ष विजय कुमार मारू, पूर्व विधायक अशोक नवलखा, हस्तीमल दुग्गड, मोतीलाल रांका, ज्ञानचंद ढेलावत, कमलेश ढेलावत सहित युवक परिषद के अर्पित सिंघवी, कमलेश दुग्गड, हिमांशु मारू, वीरेंद्र मारू, विपिन रांका, अनिल पगारिया, मनोज ढेलावत, आनंद सालेचा आदि ने उपरना ओढाकर बहुमान किया।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अध्यक्ष विजय कुमार मारू ने बताया कि मुख्य दिवस 30 अप्रैल, बुधवार को प्रातः 8.45 बजे से मंगल प्रवचन, वर्षीतप आराधकों का बहुमान एवं पारणा कार्यक्रम आयोजित होगा तथा तीन दिवसीय कार्यक्रमों की श्रंखला के अंतिम दिवस 1 मई, बुधवार को प्रातः 8.30 बजे से अनुष्ठान व जाप का कार्यक्रम रहेगा।