गणपति स्थापना के साथ तुलसी विवाह के कार्यक्रम प्रारंभ

निंबाहेड़ा - मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ पर आगमी 2 नवम्बर यानि देवोत्थापन एकादशी के पावन अवसर पर आयोजित किये जा रहे तुलसी एवं शालिग्राम विवाह के उपलक्ष्य में कार्तिक शुक्ला अष्टमी बुधवार को वेदपीठ पर शालिग्राम परिवार तथा कल्याण गौशाला में तुलसी परिवार की ओर से कल्याणनगरी के राजाधिराज ठाकुर श्री कल्लाजी के सानिध्य में प्रथमेश पूज्य निर्वघ्न कर्ता भगवान गणेश की पारंपरिक प्रथा एवं वैदिक विधान के अनुसार स्थापना की गई । इस मौके पर वेदपीठ के आचार्यो एवं बटुकों द्वारा मंत्रोच्चार करते हुए इस विवाह समारोह को निर्वघ्न एवं भव्य बनाने का आशीर्वाद लिया । इसके साथ ही तुलसी शालिग्राम विवाह के अनुष्ठान एवं पारंपरिक कार्यक्रम प्रारंभ हो गए है । जिसके तहत महिलाओं द्वारा भजन कीर्तन किये जायेंगे। इसके साथ ही कल्याणलोक से वृंदा तुलसी परिवार की ओर से शालिग्राम जी के परिवार जनों के लिए लग्न पत्रिका तैयार कर शुभ मुहूर्त में श्री कल्लाजी मंदिर पर भिजवाई गई । ताकि वहां भी विवाह की तैयारियां विधिवत रूप से चलती रही। साथ ही 2 नवंबर को प्रात: 8 बजे वेदपीठ परिसर से बैंड बाजों के साथ ठाकुर जी के सानिध्य में शालिग्राम जी की बारात प्रस्थान करेगी, जो कल्याण लोक पहुंचकर कल्याण गौशाला परिसर स्थित श्री कृष्ण मंदिर परिसर में विश्राम करेगी। जहां प्रात: 10 बजे वैदिक विधान के अनुसार तोरण एवं हस्तमिलाप की रस्म अदा करते हुए पूरे विधि विधान के साथ तुलसी शालिग्राम का विवाह करवाया जाएगा। उन्होंने समस्त कल्याणनगरी वासियों कल्याण भक्तों, न्यासियों, पदाधिकारियों, वीर वीरांगनाओं एवं कृष्णा शक्ति दल की माता एवं बहनों और सम्पूर्ण क्षेत्रवासियों से आग्रह किया हैं कि इस विवाह समारोह में पूरी श्रद्धा के साथ भागीदारी निभाए।
कल्याण गौ शाला में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गोपाष्टमी
मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ की ओर से कार्तिक शुक्ला अष्टमी को गोपाष्टमी के पावन पर्व कल्याण लोक स्थित कल्याण गौ शाला में पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर गौ शाला परिसर में विराजित गौपालक भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा की विशेष पूजा अर्चना के साथ ही बड़ी संख्या में वेदपीठ के पदाधिकारियों,आचार्यो, बटुको,श्रद्धालुओ और माता बहनो की ओर से गौ माता सामूहिक पूजा अर्चना कर गुड़, लापसी और हरे चारे का भोग लगाकर सर्वत्र खुशहाली की कामना की।
