राज किसान गिरदावरी ऐप के माध्यम से होगा कार्य, ग्राम पंचायत पर कैम्पों का आयोजन
चित्तौड़गढ़। मुख्यमंत्री के द्वारा की गई बजट घोषणा के अनुसार राज्य सरकार की ओर से किसानों को अब ऐप के माध्यम से स्वयं गिरदावरी करने की सुविधा प्रदान की गई है।
गिरदावरी के लिए सर्वप्रथम राज किसान गिरदावरी ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कर अपने जनाधार से ऐप को लॉगिन करना है। आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर ओटीपी प्राप्त होगा। जिसमें वेरिफाइड होने के बाद ऐप लॉगिन हो जाएगा। उसके बाद फसल विवरण जोड़ें पर क्लिक करना है, फिर ऊपर की साइड में जनाधार से जुड़े खसरे का ऑप्शन आएगा एवं दूसरी साइड में खसरा सर्च करने का ऑप्शन रहेगा। उसमें काश्तकार को अपना जिला, तहसील एवं गांव सिलेक्ट करते हुए आगे बढ़ना होगा।
इसके पश्चात अपने खेत का खसरा अंकित करते हुए कैलीब्रेट करें पर क्लिक करना होगा। कैलिब्रेट करने के बाद गिरदावरी सीजन एवं फसल सिलेक्ट करते हुए खसरे का एरिया हेक्टेयर में अंकित करना होगा। उसके बाद फसल सिंचित है या असिंचित एवं सिंचाई का स्रोत तथा फलेवर पेड़ है तो उनकी संख्या आदि अंकित करते हुए खेत खसरे में जो फसल बो रखी है उसकी साफ सुथरी फोटो अपलोड करनी होगी। उक्त प्रक्रिया के बाद प्रिंट प्रिव्यू का ऑप्शन दिखेगा, वहां क्लिक करने के बाद सबमिट का ऑप्शन रहेगा। सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करने पर काश्तकार की ओर से की गई गिरदावरी सबमिट होते ही पंजीकरण संख्या प्राप्त हो जाएगी।
एक खेत में एक से अधिक खातेदार होने की स्थिति में किसी भी एक खातेदार की ओर से संपूर्ण खसरे की गिरदावरी करें, एक खसरे में एक से अधिक फसल है तो एक से अधिक फसल की गिरदावरी सबमिट की जाए। जिन काश्तकारों के खेत में किसी भी प्रकार की फसल नहीं है तो भी निल फसल बिना फसल की गिरदावरी सबमिट करें ताकि किसी खसरे की रवि गिरदावरी बकाया नहीं रहे, गिरदावरी सबमिट से पहले भली भांति देख ले की गिरदावरी से संबंधित समस्त विवरण सही है या नहीं, क्योंकि गिरदावरी एक बार सबमिट करने के बाद काश्तकार उसके बारे में किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं कर पाएंगे।
इस संबंध में 21 व 22 सितम्बर को प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कैम्पों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कृषि विभाग के कार्मिक तथा पटवारी उपस्थित रह कर किसानो को एप संचालन कि प्रक्रिया बतायेगें।
ई-गिरदावरी के फायदे
किसानों की ओर से स्वंय ऑनलाईन गिरदावरी करने से गिरदावरी कार्य में पटवारी स्तर पर निर्भरता कम रहेगी एवं वास्तविक फसल की गिरदावरी करना संभव हो सकेगा। साथ ही फसल का अंकन समुचित रूप से हो पायेगा फसल गिरदावरी वास्तविक फसल के आधार पर हुई है इस बात को लेकर काश्तकार पुर्ण रूप से सन्तुष्ट रहेगा।