सहमति से सुलझा वर्षों पुराना पारिवारिक विवाद – संबल पखवाड़ा ने बढ़ाया सौहार्द का संदेश"

सहमति से सुलझा वर्षों पुराना पारिवारिक विवाद – संबल पखवाड़ा ने बढ़ाया सौहार्द का संदेश
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चित्तौड़गढ़,। ग्राम सेमलिया पीलाखेड़ा के दो परिवार नंदा पुत्र गांगा और लक्ष्मण पुत्र मांगीलाल आपसी रिश्ते में बंधे होने के बावजूद, वर्षों से एक पारिवारिक ज़मीन के बँटवारे को लेकर विवाद में उलझे हुए थे। यह विवाद धीरे-धीरे इतना गंभीर हो गया कि पारिवारिक संबंधों में दरार, तनाव और सामाजिक दूरी उत्पन्न हो गई थी।

यह मामला एक संयुक्त पारिवारिक खेत के स्वामित्व एवं उपयोग को लेकर था, जहाँ दोनों पक्ष अपनी-अपनी हिस्सेदारी को लेकर असहमति में थे। समय के साथ यह विवाद कानूनी प्रक्रिया की ओर बढ़ने लगा था, जिससे न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा था बल्कि ग्राम स्तर पर सामाजिक शांति भी बाधित हो रही थी।

समाधान की शुरुआत – संबल पखवाड़ा बना उम्मीद की किरण

पंडित दीनदयाल उपाध्याय संबल पखवाड़ा 2025 के तहत ग्राम पंचायत सेमलिया पीलाखेड़ा में आयोजित शिविरों में इस मामले को प्राथमिकता से उठाया गया। राजस्व विभाग, पंचायत प्रतिनिधि, स्थानीय प्रशासन, तथा ग्राम स्तरीय मध्यस्थता टीमों ने मिलकर पहल की और दोनों पक्षों को एक मेज पर बैठने के लिए राजी किया।

सहमति विभाजन – संवाद और समाधान का संगम

ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी और पंचायत सदस्यों की देखरेख में दोनों पक्षों की राय ली गई और परस्पर सहमति आधारित जमीन विभाजन की प्रक्रिया शुरू की गई। जमीन की नपती कर निष्पक्ष सीमांकन किया गया। दोनों पक्षों को कानूनी जानकारी एवं दस्तावेजों का अवलोकन कराया गया।

अंततः दोनों परिवार सहमति से जमीन के निष्पक्ष बंटवारे के लिए तैयार हो गए। इस बंटवारे की प्रक्रिया आपसी सुलह व पंचायत की साक्षी में पूरी की गई।

परिणाम – विवाद का शांतिपूर्ण अंत, रिश्तों में नई शुरुआत

इस निर्णय से नंदा और लक्ष्मण दोनों को अपने-अपने हिस्से की जमीन पर स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार मिला। वर्षों से चल रहा तनाव अब समाप्त हो चुका है। दोनों परिवारों ने शांति और संतोष के साथ नए सिरे से जीवन की ओर कदम बढ़ाया है।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका सराहनीय

पंचायत प्रतिनिधियों, उपखंड अधिकारी डूंगला, और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने पूरी प्रक्रिया को संवेदनशीलता और पारदर्शिता से संचालित किया। उनकी समझदारीपूर्ण मध्यस्थता ने यह साबित किया कि विवादों को केवल कानून से नहीं, बल्कि संवाद, सहभागिता और सद्भाव से भी सुलझाया जा सकता है।

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