चित्तौड़गढ़ पोक्सो कोर्ट का सख्त फैसला, नाबालिग दुष्कर्म मामले में मुख्य आरोपी को 20 साल की कैद

चित्तौड़गढ़ पोक्सो कोर्ट का सख्त फैसला, नाबालिग दुष्कर्म मामले में मुख्य आरोपी को 20 साल की कैद
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चित्तौड़गढ़। नाबालिग से दुष्कर्म और जबरन गर्भपात कराने के सनसनीखेज मामले में चित्तौड़गढ़ स्थित पोक्सो विशेष न्यायालय ने कड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने मुख्य अभियुक्त को 20 वर्ष के कठोर कारावास और दो सह आरोपियों को 10 10 वर्ष की सजा के साथ जुर्माने से दंडित किया है। वहीं गर्भपात कराने के मामले में आरोपी अस्पताल संचालक ने अपने खिलाफ चल रही सुनवाई पर हाई कोर्ट से स्थगन ले रखा है।

विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि यह मामला 22 अप्रैल 2022 का है, जब पीड़िता की मां ने चित्तौड़गढ़ कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि मोहर मंगरी निवासी सुबराती उर्फ राजू नाबालिग को चाय बनाने के बहाने अपने घर ले गया, जहां उसके हाथ पैर बांधकर दुष्कर्म किया गया। इस दौरान आरोपी ने पीड़िता के आपत्तिजनक वीडियो भी बनाए।

आरोप है कि बाद में आरोपी ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कई बार नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। इसके चलते पीड़िता गर्भवती हो गई। जब परिवार को इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने आरोपी और उसके परिवार से संपर्क किया। आरोपी पक्ष ने नाबालिग का निकाह कराने का झांसा दिया और इसी बहाने उसे अपने साथ ले गए।

इसके बाद आरोपियों ने पीड़िता को राजस्थान हॉस्पिटल ले जाकर डॉक्टर की मिलीभगत से छह माह का गर्भपात करा दिया। अभियोजन के अनुसार इस दौरान पीड़िता की जान की भी परवाह नहीं की गई और अपराध छिपाने के लिए सबूत मिटाने का प्रयास किया गया। बाद में आरोपी ने निकाह से भी इनकार कर दिया।

पीड़िता ने पहले यह शिकायत पुलिस अधीक्षक को सौंपी थी, जिनके निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज किया। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने पोक्सो कोर्ट में चालान पेश किया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों के बयान दर्ज कराए और 40 दस्तावेज अदालत में पेश किए।

विशेष न्यायाधीश लता गौड़ ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर मुख्य आरोपी सुबराती उर्फ राजू को दोषी करार देते हुए आईपीसी की धारा 376(3) और पोक्सो एक्ट की धाराओं में 20 वर्ष के कठोर कारावास सहित कुल एक लाख 35 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा अन्य धाराओं में भी अलग अलग सजाएं दी गईं।

सह आरोपी सद्दाम और उसकी पत्नी सिमरन को धारा 342 और 315 के तहत 10 10 वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक को 25 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया गया है। अदालत ने पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत पीड़िता को दो लाख रुपए की सहायता राशि देने का भी आदेश दिया है।

मामले में मुख्य आरोपी की मां अंजुम फिलहाल फरार है, जिसके खिलाफ चालान लंबित रखा गया है। वहीं राजस्थान हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर कामिल ने अपने खिलाफ चल रही सुनवाई पर राजस्थान हाई कोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त कर रखा है।

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