कांग्रेस ओबीसी काउंसिल की बैठक 15 जुलाई को

कांग्रेस आगामी चुनावों में पिछड़े, दलित और ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए अपनी रणनीति को धार दे रही है। इसी कड़ी में पार्टी की ओबीसी एडवाइजरी काउंसिल की बैठक 15 जुलाई को बेंगलुरु में आयोजित होगी। हाल ही में कांग्रेस ने अपने ओबीसी वर्ग के 24 वरिष्ठ नेताओं को मिलाकर यह काउंसिल गठित की थी।
लगातार तीन लोकसभा चुनावों में हार का सामना कर चुकी कांग्रेस अब अपने परंपरागत ओबीसी वोट बैंक को फिर से मजबूत करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, भाजपा की लगातार तीन बार केंद्र में सत्ता में वापसी में ओबीसी वोटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ओबीसी वह वर्ग है, जिसमें भाजपा ने कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंध लगाई। ऐसे में कांग्रेस अब ओबीसी मतदाताओं को फिर से जोड़ने की कवायद में जुट गई है।
आगामी चुनावों में नेताओं के भाषणों से लेकर घोषणापत्र तक में कांग्रेस का खास फोकस ओबीसी वर्ग पर रहेगा। पार्टी ने काउंसिल में देशभर के प्रमुख ओबीसी नेताओं को शामिल किया है। राजस्थान से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को इसमें जगह दी गई है। इसके अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई बड़े नेता इस काउंसिल का हिस्सा हैं। ओबीसी वर्ग से जुड़े डेटा इकट्ठा करने और उनके अहम मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने की जिम्मेदारी इन्हीं नेताओं को दी गई है।
ओबीसी संगठनों और विशेषज्ञों के दावों के अनुसार, देश की आबादी में करीब 55 से 60 फीसदी मतदाता ओबीसी वर्ग से आते हैं। देशभर में लगभग 96 जातियां ओबीसी श्रेणी में आती हैं। ऐसे में सरकार बनाने में ओबीसी वोटर्स की भूमिका किसी भी दल के लिए निर्णायक मानी जाती है।