भील समाज की बैठक में लिए गए अहम फैसले, शादी समारोह में डीजे पर रोक

कुशलगढ़। भील समग्र विकास परिषद् की ओर से आयोजित समाज सुधार बैठक में सामाजिक परंपराओं में सुधार को लेकर कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक में यह तय किया गया कि अब शादी समारोह में डीजे का प्रयोग नहीं किया जाएगा, इसके स्थान पर पारंपरिक वाद्ययंत्र जैसे ढोल, कुंडी और शहनाई ही बजेंगे। इसके साथ ही विवाह भोज में दाल, चावल और मीठे में लपसी ही परोसी जाएगी।
बैठक की अध्यक्षता परिषद् के अध्यक्ष रूपजी बारिया ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व संसदीय सचिव भीमा भाई डामोर उपस्थित थे। इस मौके पर कई जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और सरपंच भी शामिल हुए। समाज के भीतर बढ़ती फिजूलखर्ची, दहेज प्रथा और आधुनिक दिखावे जैसी समस्याओं पर गहन चर्चा की गई।
**समाज में बढ़ती फिजूलखर्ची और दहेज प्रथा पर जताई चिंता**
अध्यक्ष रूपजी बारिया ने कहा कि समाज में अनावश्यक खर्च और दहेज जैसी कुरीतियां तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। उन्होंने अपील की कि समाज को इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
बारिया ने कहा कि भील संस्कृति की पहचान सादगी और परंपरा में निहित है। अगर आधुनिकता के नाम पर दिखावे बढ़ते गए तो समाज की जड़ें कमजोर पड़ जाएंगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि परिषद प्रशासनिक स्तर पर भी इन निर्णयों को लागू करवाने की दिशा में प्रयास करेगी, ताकि हर गांव में सामाजिक सुधार के ये नियम प्रभावी रूप से लागू हो सकें।
बैठक के अंत में समाज के युवाओं को भी इन सुधारों को आगे बढ़ाने और हर आयोजन में अनुशासन बनाए रखने का आह्वान किया गया।
